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Four lower bodies/hi: Difference between revisions

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== मानसिक शरीर ==
== मानसिक शरीर ==


मन मंदिर के पूर्व में स्थित मानसिक शरीर जो [[Special:MyLanguage/Christ|आत्मा]] के द्वार से [[Special:MyLanguage/mind of God|ईश्वर के मस्तिष्क]] का पात्र है जो मनुष्य जीवन के केंद्रों को ब्रह्मांड के केंद्रों द्वारा पूर्ण सामंजस्य (attunement) प्रदान करता है। और अभिव्यक्ति में प्रत्येक परमाणु के श्वेत-अग्नि कोर के साथ। मानसिक शरीर में स्थापित पूर्णता के ज्यामितीय मैट्रिक्स के माध्यम से, मनुष्य प्रकृति की शक्तियों को नियंत्रित करने, अपने ब्रह्मांड को नियंत्रित करने और महान कीमियागर बनने में सक्षम है।
मन मंदिर के पूर्व में स्थित मानसिक शरीर जो [[Special:MyLanguage/Christ|आत्मा]] के द्वार से [[Special:MyLanguage/mind of God|ईश्वर के मस्तिष्क]] का पात्र है जो मनुष्य जीवन के केंद्रों को ब्रह्मांड के केंद्रों द्वारा पूर्ण सामंजस्य (attunement) प्रदान करता है। और अभिव्यक्ति में प्रत्येक परमाणु के श्वेत-अग्नि कोष  के साथ भी। मानसिक शरीर में स्थापित पूर्णता के ज्यामितीय सांचे (geometric matrices) के माध्यम से, मनुष्य प्रकृति की शक्तियों को नियंत्रित करने, अपने ब्रह्मांड को नियंत्रित करने और महान रसायनशास्त्री बनने में सक्षम हो सकता है।  
 
 
 
 
 
यह मनुष्य और ब्रह्मांड के केंद्र के मध्य पूर्ण सामंजस्य बनाता है।
मानसिक शरीर के ज्यामितीय सांचे के माध्यम से मनुष्य प्रकृति की शक्तियों को नियंत्रित करने, अपने ब्रह्मांड को नियंत्रित करने और महान रसायनशास्त्री बनने में सक्षम हो सकता है।  


जब मनुष्य का मानसिक (वायु) शरीर व्यर्थ के सांसारिक ज्ञान से भर जाता है तो यह ईश्वर के शब्दों को ग्रहण करने में असमर्थ हो जाता है। ऐसी में सर्पीले तर्क उसके दिमाग को मोहित करते हैं, और और उसकी चेतना का स्तर गिर जाता है। इसके बाद दैहिक बुद्धि आत्मा का स्थान ले लेती है और मानसिक शरीर पर पूर्णतया अधिकार करके कृत्रिम चेतना का निर्माण कर उसमें शासन करती है।
जब मनुष्य का मानसिक (वायु) शरीर व्यर्थ के सांसारिक ज्ञान से भर जाता है तो यह ईश्वर के शब्दों को ग्रहण करने में असमर्थ हो जाता है। ऐसी में सर्पीले तर्क उसके दिमाग को मोहित करते हैं, और और उसकी चेतना का स्तर गिर जाता है। इसके बाद दैहिक बुद्धि आत्मा का स्थान ले लेती है और मानसिक शरीर पर पूर्णतया अधिकार करके कृत्रिम चेतना का निर्माण कर उसमें शासन करती है।
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