Zadkiel and Holy Amethyst/hi: Difference between revisions

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जेडकीयल सातवीं लौ के [[Special:MyLanguage/archangel|महादेवदूत]]  है।जेडकीयल और अमेथिस्ट दोनों ही ईश्वरीय स्वतंत्रता को दर्शाते हैं। [[Special:MyLanguage/alchemy|रसायन विद्या]],[[Special:MyLanguage/transmutation|रूपांतरण]], ये दोनों भी संत जर्मैन [[Special:MyLanguage/Saint Germain|संत जर्मैन]] और उनकी  [[Special:MyLanguage/twin flame|सम्ररूप जोड़ी]] लेडी मास्टर [[Special:MyLanguage/Portia|पोर्शिआ]] के गुण - क्षमा करने की ताकत एवं न्याय करने का ध्येय - दर्शाते हैं। ये दोनों स्वाधिष्ठान चक्र [[Special:MyLanguage/seat-of-the-soul chakra|स्वाधिष्ठान चक्र]] के स्वामी हैं। इनका रंग वायलेट है। शनिवार सातवीं किरण का दिन कहलाता है। अगर हम इस दिन इनकी अर्चना करते हैं तो हमें इनके द्वारा अत्यधिक रोशनी, ऊर्जा और ब्रह्माण्ड की चेतना प्राप्त होती है।
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अपने आश्रयस्थल में महादेवदूत जेडकियल सभी मनुष्यों को ईश्वरीय गुणों में शिक्षित करते हैं ताकि वे  [[Special:MyLanguage/Melchizedek|आर्डर ऑफ़ मेलचेजड़ेक]] के अंतर्गत ईश्वर के पुजारी और पुजारिन बन पाएं।  जिन दिनों [[Special:MyLanguage/Atlantis|एटलांटिस महाद्वीप]] इस संसार में विद्यमान था, संत जर्मैन और  [[Special:MyLanguage/Jesus|जीसस क्राइस्ट]] दोनो ने ही महादेवदूत जेडकियल के आश्रयस्थल में शिक्षा प्राप्त की थी। जेडकियल ने ही इन दोनों को पुजारी के रूप में दीक्षित किया था।
अपने आश्रयस्थल में महादेवदूत जेडकियल सभी मनुष्यों को ईश्वरीय गुणों में शिक्षित करते हैं ताकि वे  [[Special:MyLanguage/Melchizedek|आर्डर ऑफ़ मेलचेजड़ेक]] के अंतर्गत ईश्वर के पुजारी और पुजारिन बन पाएं।  जिन दिनों [[Special:MyLanguage/Atlantis|एटलांटिस महाद्वीप]] इस संसार में विद्यमान था, संत जर्मैन और  [[Special:MyLanguage/Jesus|जीसस क्राइस्ट]] दोनो ने ही महादेवदूत जेडकियल के आश्रयस्थल में शिक्षा प्राप्त की थी। जेडकियल ने ही इन दोनों को पुजारी के रूप में दीक्षित किया था।

Revision as of 09:38, 6 October 2023

अब्राहम द्वारा ऐसैक का त्याग

जेडकीयल सातवीं लौ के महादेवदूत हैं। जेडकीयल और अमेथिस्ट हमें भगवान् से जोड़ते हैं। रसायन विद्या,रूपांतरण, ये दोनों भी संत जर्मैन संत जर्मैन और उनकी सम्ररूप जोड़ी लेडी मास्टर पोर्शिआ के गुण - क्षमा करने की ताकत एवं न्याय करने का ध्येय - दर्शाते हैं। ये दोनों स्वाधिष्ठान चक्र स्वाधिष्ठान चक्र के स्वामी हैं। इनका रंग वायलेट है। शनिवार सातवीं किरण का दिन कहलाता है। अगर हम इस दिन इनकी अर्चना करते हैं तो हमें इनके द्वारा अत्यधिक रोशनी, ऊर्जा और ब्रह्माण्ड की चेतना प्राप्त होती है।

अपने आश्रयस्थल में महादेवदूत जेडकियल सभी मनुष्यों को ईश्वरीय गुणों में शिक्षित करते हैं ताकि वे आर्डर ऑफ़ मेलचेजड़ेक के अंतर्गत ईश्वर के पुजारी और पुजारिन बन पाएं। जिन दिनों एटलांटिस महाद्वीप इस संसार में विद्यमान था, संत जर्मैन और जीसस क्राइस्ट दोनो ने ही महादेवदूत जेडकियल के आश्रयस्थल में शिक्षा प्राप्त की थी। जेडकियल ने ही इन दोनों को पुजारी के रूप में दीक्षित किया था।

जेडकीयल शब्द का अर्थ है 'ईश्वरीय धर्म'। रबी परंपरा के अनुसार, जेडकीयल करुणा, स्मृति और परोपकार के दूत हैं। कुछ अन्य परम्पराओं के अनुसार, जेडकीयल ही वह दूत थे जिन्होंने अब्राहम’ को स्वयं के पुत्र की बलि देने से रोका था। जेडकीयल की सम्ररूप जोड़ीदार लेडी मास्टर पोर्शिआ उन दूतों में से एक थी जिन्होंने जीसस क्राइस्ट को गेत्समनी के बाग में सहायता की थी।

सातवीं किरण के उपयोग

जेडकीयल और अमेथिस्ट का सिर्फ एक ध्येय है - मनुष्यों को व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मार्ग दिखाना, इसका अर्थ यह है की प्रत्येक मनुष्य स्वयं के नकारात्मक कर्मों से मुक्तिं पा ले। नकारात्मकता से स्वतंत्र मनुष्य ही अपने परिवार, समाज, शहर, राज्य, देश और अपने गृह (पृथ्वी) को स्वतंत्र करवा सकता है। वायलेट फ्लेम द्वारा हम अपने नकारात्मक कर्मों का स्वरुप बदल सकते है। डिक्रीस ईश्वर के सामान सभी प्राणियों के प्रति प्रेम का समभाव, समान मनोवृत्ति रख कर तथा ईश्वर से दया एवं क्षमयाचना कर के भी हम अपने नकारात्मक कर्मों को संतुलित कर सकते हैं।

महादेवदूत जेडकीयल कहते हैं की जब भी कोई व्यक्ति पवित्र वायलेट फ्लेम का आह्वाहन करता है, वह स्वयं तथा अन्य दिव्यगुरु देखते हैं की :

कोई व्यक्ति अपने कर्मों को संतुलित करने का कितना प्रयत्न कर रहा है। सदियों से एकत्र हुए जनम-जन्मांतर के नकारात्मक कर्म को संतुलित करना कोई आसान काम नहीं है, पर आप कितनी प्रबल इच्छा से यह करने का प्रयत्न कर रहे हैं, ये हम देखते हैं। और इतनी कोशिश होते हुए देखकर हमें बहुत अच्छा लगता है। नकारात्मकता के बीच झूलते हुए आप कितने कठिन प्रयास से ईश्वर की और कदम बढ़ाते हैं, ये मायने रखता है और यह ही हमें प्रसन्न भी करता है।


जब आप ऐसा करते हैं तो सातवीं किरण की शक्तिशाली ऊर्जा एक अत्यधिक विशाल इलेक्ट्रोड का रूप लेकर आपके चारों ओर फैल जाती है, और वायलेट फ्लेम के सभी दूत गण आपके चारों तरफ इकट्ठा हो जाते हैं। अपने खुले हाथों से वे सभी आपकी तरफ वायलेट फ्लेम भेजते हैं जो की आपके शरीर के प्रभामंडल को प्रज्वलित करते हैं जिस से की आपकी सभी नकारात्मक स्थितियां समाप्त हो जाती हैं। ऐसा होते ही आपके दिल और दिमाग दोनों से नकारात्मक विचार ख़त्म हो जाते हैं! [1]

जेडकीयल कहते हैं की वायलेट फ्लेम एक सार्वभौमिक द्रव्य है जिसकी खोज विश्व भर के रसायन शास्त्री सदियों से करते आ रहे थे। [2] वे कहते हैं:

मेरे ह्रदय में रसायन शास्त्र के समस्त रहस्य हैं। आप चाहें तो इनका आह्वाहन कीजिये। आप ऐसा करेंगे तो मैं सहर्ष इन सभी रहस्यों को आप तक पहुंचा दूंगा। [3]

वायलेट फ्लेम आपको शारीरिक रूप से भी सहायता करती है। जेडकीयल और अमेथिस्ट कहते है:

आप किसका इंतज़ार कर रहे हैं जबकि आपकी ज़िन्दगी की लौ धीरे धीरे बुझती जा रही है ? आप वायलेट फ्लेम का इस्तेमाल कर के अपने शरीर को स्फूर्ति प्रदान कर सकते हैं। क्या आपको लगता है की ईश्वर आपके शरीर के अणुओं और कोशिकाओं को पुनः सक्रिय कर सकते हैं? ईश्वर आपके पूरे शरीर को वायलेट फ्लेम से नहला कर आपको शाश्वत यौवन की दीप्ति दे सकते हैं![4]

संत जर्मैन हमें बताते हैं की सदा आनंदित रहना हमारे जीवन की उद्देश्य है, और वायलेट फ्लेम आनंद प्राप्त करने का माध्यम। वायलेट फ्लेम के दो प्रमुख गुण दया और क्षमा के भाव हैं। अगर आप वायलेट फ्लेम की रूपांतरण की ताकत का सबसे अधिक लाभ पाना चाहते हैं तो आप उन सब को वायलेट फ्लेम भेजिए जिनके साथ आपने कभी गलत किया हो। अगर आप यह नहीं जानते की जिस व्यक्ति के साथ आपने गलत किया है वो कहाँ है, तो आप उस व्यक्ति के नाम एक क्षमा प्रार्थना का पत्र लिखिए, और फिर उस पत्र को जला दीजिये। आप उन सभी के पास भी वायलेट फ्लेम भेजिए जिन्होंने आपके साथ कभी भी कुछ भी गलत किया है। ऐसा करने के दोनों की तरफ से क्षमा करने के द्वार खुल जाते हैं। अपने सभी दर्द और दुःख वायलेट फ्लेम में जला दीजिये। लॉ ऑफ़ फोर्गीवेनेस्स का आह्वाहन कीजिये ।

Miracles through the violet flame

The angels can create miracles in our lives, but we have to call them into action to do just that.

Zadkiel explains that according to cosmic law the angels may not intercede in the affairs of men unless people pray to them and give them specific assignments. At this very moment angels are waiting for your direction. This law is based on our Father-Mother God’s recognition of free will. Unless you ask God to intercede in your behalf, he, by his own decree, will not, and does not, break that covenant of free will and enter into your life uninvited.

Zadkiel says:

When you invoke the light of our violet-flame legions, know that millions of angels of the seventh ray respond to your call immediately. We see the rise, the fall and the ebb of the tide of world karma daily as Keepers of the Flame worldwide do invoke the violet flame and therefore mitigate the effects of mass karma.[5]

How can we be effective in creating miracles to change world conditions?

The violet-flame legions of light are warriors of the Spirit who can meet any condition of planet Earth. We are reinforcements ... nearest the physical octave because the violet flame is the most physical flame.[6]

Second, be specific. Archangel Zadkiel and Holy Amethyst say:

The world is filled with many injustices. Examine the world scene and determine what causes are worth fighting for. Choose one or two, and then work on them relentlessly with your violet-flame decrees, your meditations and your active involvement in alleviating the burdens of your cities. Join with others in giving your violet-flame decrees to save our civilization.[7]

In answer to your call, we send missiles of violet flame to save planet Earth. I tell you, with God all things are possible![8]

Third:

The saints in embodiment must anchor divine intercession in the earth by saturating their auras with violet flame. This is the way to make the difference in turning negative world prophecy into positive world prophecy.[9]

Lord Maitreya tells us that miracles are the alchemy of the violet ray and the gift of Saint Germain. The momentum of violet flame that you build in your aura as you decree day by day without fail will enable you to build a storehouse of violet flame that will be available to you in time of emergency—just when you need a miracle. How many times have you heard yourself or someone say: “O God, I really need a miracle now!”

A miracle is sudden transmutation. And sudden transmutation takes place because someone in the universe has garnered enough light, enough violet flame to inject such a momentum, such a quotient of energy that the violet flame applied to a specific problem causes instantaneous change in the etheric plane, the mental plane, the emotional plane and the physical plane.

The final key that Zadkiel gives is to get involved:

The open door to light in the physical octave is you,... is the power of the spoken Word to protest, to demonstrate, to decree. Pray at the altar, then go forth and take your stand in all areas where life is threatened. You are the open door to safety and salvation in the earth.[10]

Amethyst crystal

Main article: Amethyst (gemstone)

Through the amethyst crystal, the twin flame of Lord Zadkiel focuses the mother aspect of freedom to the evolutions of this planet. The amethyst is worn by all who serve on the seventh ray and their devotees. All jewels are actually precipitates or condensations of the flame that the jewel focuses. Thus, the amethyst is the focus of the freedom flame, and those jewels that have been consecrated by lightbearers contain in the center a replica of the flame that they represent.

Retreat

Main article: Temple of Purification

Together with his twin flame, Holy Amethyst, and the violet-flame angels, Archangel Zadkiel serves mankind from the Temple of Purification. This temple, once physical, is now in the etheric realm over the island of Cuba. Priests of the sacred fire on Atlantis took their training under the order of Lord Zadkiel here, and their service to life drew the momentum that prevented the island from sinking.

The musical keynote of Holy Amethyst is the “Beautiful Blue Danube,” by Johann Strauss.

Sources

Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, The Masters and Their Retreats, s.v. “Zadkiel and Holy Amethyst.”

  1. महादेवदूत जेडकीयल, ३१ दिसंबर, १९६८, एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट द्वारा कथित, “Saint Germain’s Prophecy for the Aquarian Age,” २ मार्च, १९९६.
  2. रसायन शास्त्र मध्यकालींन युग की विद्या है। शुरुआत में रसायन शास्त्री इस कोशिश में रहते थे की वे किसी तरह धातुओं को सोने में बदल पाएं, विभिन्न रोगों के लिए कोई कारगर उपाय खोज पाएं जिससे की इंसान की उम्र लम्बी और जीवन निरोग हो जाए । मोटे तौर पे देखें तो “रसायन विद्या किसी सामान्य सी वस्तु को बेहद ख़ास बनाने की प्रक्रिया है; एक ऐसी प्रक्रिया जो अत्यंत अतरंगी है और जिसका वर्णन करना बेहद कठिन।” रसायन शास्त्र स्वयं में परिवर्तन करने का विज्ञानं है।
  3. महादेवदूत जेडकीयल, दिसंबर ३०, १९८० एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट द्वारा कही, “Saint Germain’s Prophecy for the Aquarian Age,” मार्च २, १९९६.
  4. अमेथिस्ट, ६ दिसंबर १९६०, एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट द्वारा कही “Saint Germain’s Prophecy for the Aquarian Age,” २ मार्च १९९६.
  5. Archangel Zadkiel, October 6, 1987, quoted by Elizabeth Clare Prophet, “Saint Germain’s Prophecy for the Aquarian Age,” March 2, 1996.
  6. Archangel Zadkiel, Pearls of Wisdom, vol. 32, no. 17, April 23, 1989.
  7. Archangel Zadkiel and Holy Amethyst, “Vials of Freedom,” December 30, 1974, quoted by Elizabeth Clare Prophet, “Saint Germain’s Prophecy for the Aquarian Age,” March 2, 1996.
  8. Archangel Zadkiel, March 24, 1989, quoted by Elizabeth Clare Prophet, “Saint Germain’s Prophecy for the Aquarian Age,” March 2, 1996.
  9. Ibid.
  10. Archangel Zadkiel, “My Gift of the Violet Flame,” Pearls of Wisdom, vol. 30, no. 58, November 27, 1987.