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<blockquote>आत्मा की ज्योत व्यक्ति के ह्रदय में स्थित [[Special:MyLanguage/threefold flame|ज्योत]] को आकर्षित करती है और प्रकाशरूपी (शादी का) परिधान उस व्यक्ति को अपने अंदर समेट लेता है जिस से वह ऊपर उठ सकता है। इसके बाद इंसान के शरीर में कुछ आश्चर्यजनक बदलाव होते हैं जिनके फ़लस्वरूप शरीर पूरी तरह से पवित्र हो जाता है। फिर भौतिक शरीर हल्का होना शुरू होता है, और हल्का होते होते पूर्णतः भारहीन होकर आसमान में ऊपर उठने | <blockquote>आत्मा की ज्योत व्यक्ति के ह्रदय में स्थित [[Special:MyLanguage/threefold flame|त्रिदेव ज्योत]] को आकर्षित करती है और प्रकाशरूपी (शादी का) परिधान उस व्यक्ति को अपने अंदर समेट लेता है जिस से वह ऊपर उठ सकता है। इसके बाद इंसान के शरीर में कुछ आश्चर्यजनक बदलाव होते हैं जिनके फ़लस्वरूप शरीर पूरी तरह से पवित्र हो जाता है। फिर भौतिक शरीर हल्का होना शुरू होता है, और हल्का होते होते पूर्णतः भारहीन होकर आसमान में ऊपर उठने लगता है, पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का उसपर असर नहीं होता। प्रकाश से आच्छादित ये शरीर ऐसा ही प्रतीत होता है जैसा परमपिता परमेश्वर के शरीर के बारे में हम जानते है। इसके बाद भौतिक शरीर गौरवशाली आध्यात्मिक शरीर में परिवर्तित हो जाता है।<ref>{{DOA}}, pp. 157–59, 175–77.</ref></blockquote> |
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