Brothers and Sisters of the Golden Robe/hi: Difference between revisions

From TSL Encyclopedia
(Created page with "== इसे भी देखिये ==")
No edit summary
Line 51: Line 51:


रूथ जोंस की उन्नत उपस्थिति के अधिकार से मैं उनके [[Special:MyLanguage/mantle|आवरण]] की किरण, उनके समर्पण की गति, उन सब लौ के रक्षकों और जीवात्माओं को हस्तांतरित करता हूं जो इस घोषणा को पढ़ेंगे और जिनका चेतना तथा आध्यात्मिक उत्थान में विश्वास होगा। रूथ जोंस का ह्रदय सन्देशवाहकों तथा दिव्यगुरूओं के प्रति कृतज्ञता से भरपूर है जिनकी वजह से उनकी घरवापसी (ईश्वर से मिलन) हुई। वे सभी अविनाशी गुरुओं के साथ मिलकर जीवात्माओं को ऊपर उठने का रास्ता एवं तरीका बताती हैं।<ref>कुथुमी एंड ब्रदर्स ऑफ़ गोल्डन रोब, “Keepers of the Flame Are Ascending Day by Day,” {{POWref|19|3|, जनवरी १८, १९७६}}</ref>
रूथ जोंस की उन्नत उपस्थिति के अधिकार से मैं उनके [[Special:MyLanguage/mantle|आवरण]] की किरण, उनके समर्पण की गति, उन सब लौ के रक्षकों और जीवात्माओं को हस्तांतरित करता हूं जो इस घोषणा को पढ़ेंगे और जिनका चेतना तथा आध्यात्मिक उत्थान में विश्वास होगा। रूथ जोंस का ह्रदय सन्देशवाहकों तथा दिव्यगुरूओं के प्रति कृतज्ञता से भरपूर है जिनकी वजह से उनकी घरवापसी (ईश्वर से मिलन) हुई। वे सभी अविनाशी गुरुओं के साथ मिलकर जीवात्माओं को ऊपर उठने का रास्ता एवं तरीका बताती हैं।<ref>कुथुमी एंड ब्रदर्स ऑफ़ गोल्डन रोब, “Keepers of the Flame Are Ascending Day by Day,” {{POWref|19|3|, जनवरी १८, १९७६}}</ref>
</blockquote>


<span id="Openings_in_the_order"></span>
<span id="Openings_in_the_order"></span>

Revision as of 03:48, 25 November 2023

Other languages:
 
Part of a series of articles on
Holy Orders



Order of Francis and Clare
Order of the Diamond Heart
Order of the Child
Order of the Emerald Cross
Order of the Golden Lily
Order of the Golden Robe
Order of the Good Samaritan



Order of Melchizedek
 

चैतन्य जीवों का एक वर्ग जो मानवता को विवेक की ज्योति से प्रदीप्त करने के लिए समर्पित है। दिव्यगुरु कुथुमी इसके प्रमुख हैं। इनका आकाशीय आश्रय स्थल शिगात्से और कश्मीर में है।

इस वर्ग का उद्देश्य मनुष्यों में ज्ञान का प्रकाश फैलाना है। स्वतंत्रता से की गई प्रबुद्ध कार्रवाई छठ्ठी किरण के अंतर्गत आती है - यह किरण सेवा और कार्य सम्पादन की किरण है। इसके सदस्य मानव जाति के शिक्षक कहलाते हैं। यह भक्तों का एक वर्ग है जिसका कार्य अपने आभामंडल में एकत्रित युग-युगांतर के ज्ञान को शिक्षकों और अन्य सभी इच्छुक लोगों को प्रदान करना है। कश्मीर केआकाशीय स्तर में एक पुस्तकालय है जहाँ विज्ञान, संस्कृति और विवेक के पवित्र रहस्यों पर सभी किताबें मौजूद हैं।

सदस्य्ता

ब्रदर्स ऑफ़ द गोल्डन रोब का सुनहरा लबादा पहनना एक बहुत बढ़िया अवसर और एक महान विशेषाधिकार है। उस वस्त्र को पहनने के योग्य होने के लिए आपको अपने आभामंडल में विवेक की किरण की रोशनी को और अधिक गतिमान करना होगा। यह काम आप आज्ञा चक्र की क्रिया को बढ़ाकर कर सकते हैं क्योंकि यह चक्र पन्ना किरण का चक्र है, जो भगवान की इच्छा से बनी रोशनी से बना है - नीली और पीली किरणें जो मिलकर हरी किरण बनाती हैं पीला हरी किरण बनाना।

आज्ञा चक्र को शुद्ध करने से दिव्य माँ की ऊर्जा को मूलाधार चक्र से ऊपर उठने में मदद मिलती है। अंतिम निकासी सहस्त्रार चक्र की होती है। यदि सहस्त्रार चक्र से नीचे का कोई भी चक्र मलिन है और ठीक प्रकार से स्पंदित नहीं होता तो मूलाधार चक्र से ऊपर उठती हुई माँ की ऊर्जा या तो अवरुद्ध हो जाती हो या अयोग्य। तो, हमारा लक्ष्य सात चक्रों के माध्यम से अपनी ऊर्जा को चरण दर चरण बढ़ाना है, जिससे दिव्य माँ की ऊर्जा सहस्त्रार चक्र तक पहुँचने पर शुद्ध रहे।

समिट यूनिवर्सिटी

संत जर्मेन ने कहा है कि समिट यूनिवर्सिटी के शुरुआत के १२ हफ़्तों का प्रशिक्षण विद्यार्थियों को वर्ग में प्रवेश पाने के लिए तैयार करता है:

और इसलिए सर्वव्यापी ईश्वर सुनहरे-मखमली वस्त्र के साथ अपने देवदूतों को आपके पास भेजते हैं जो कि इस बात का द्योतक है कि आप विभिन्न परीक्षाओं में उत्तीर्ण होते हुए अपने गंतव्य स्थल (आध्यात्मिक उत्थान) तक पहुँच गए हैं। यही सुनहरा वस्त्र आपको मास्टर कुथुमी के अधीन ऑर्डर ऑफ द गोल्डन रॉब की सदस्यता के योग्य बनाता है।[1]

विवेक की किरण

रोशनी और विवेक की किरण कोई नाज़ुक किरण नहीं है। यह आत्मिक चेतना द्वारा ईश्वरत्व तक पहुँचने का माध्यम है। ईश्वर की इच्छा और वायलेट लौ की सहायता से जब आभामंडल शुद्ध हो जाता है तो हृदय में रोशनी और प्रेम बढ़ने लगता है - यह प्रेम ही त्रिदेव ज्योत को बढ़ा सकता है। हमें विवेक की किरण को भी बढ़ाना है और ईश्वरीय ऊर्जा को भी।

जब आपका आभामंडल विवेक की अग्नि से परिपूर्ण हो जाता है, तो यह एक सुनहरे वस्त्र का रूप धारण करता है - यह सुनहरा वस्त्र आपकी अपनी आंतरिक उपलब्धि को दर्शाता है। इसका अर्थ है कि आप अपनी आभा द्वारा ही ऑर्डर ऑफ द गोल्डन रॉब को सदस्यता देने के लिए बाध्य करते हैं। केवल उन व्यक्तियों को ही ब्रदर्स एंड एंड सिस्टर्स ऑफ़ द गोल्डन रॉब के अंतर्गत माना जा सकता है जिनका आभामंडल विवेक से संतृप्त है।

वर्ग का अनुशासन

सदस्यों के अनुशासन के बारे में कुथुमी कहते हैं:

जब आप मेरे इस आश्रय स्थल पर आएंगे तो इन बड़े बड़े कमरों में, आँगन में और इन रास्तों पर सुनहरा चोला पहने हुए लोगों को देखेंगे। हाथों में पुस्तक लिए ये या तो ईश्वर की उपासना कर रहे होंगे या फिर पूर्व और पश्चिम की आध्यात्मिक शिक्षाओं पर विचार कर रहे होंगे। वे सन्देशवाहकों द्वारा दिए गए हमारे प्रकाशित और अप्रकाशित आदेशों की समीक्षा करते हैं - हमारे पास एक संपूर्ण पुस्तकालय है।

और इस सदी के छात्रों को मूर्त रूप में क्या दिया गया है, इस बात का अध्ययन करके उन्हें यह समझ में आता है कि पदक्रम पृथ्वी के प्रकाशवाहकों की ज़रूरतों के बारे में क्या समझता है, विशेषकर उन लोगों की ज़रूरतें जो विश्व शिक्षकों के अनुयायी बनना चाहते हैं। इस प्रकार वे वो सब जानते हैं जो उन्हें पता होना चाहिए; वे ये भी जानते हैं की उन्हें अपने स्वाध्याय में किस बात को महत्व देना चाहिए ताकि वे उन जीवात्माओं की सहायता कर सकें जो प्रतिदिन हमारे पास प्रशिक्षण और आध्यात्मिक उत्थान के लिए आती हैं।

देखिए, सुनहरे वस्त्र वाले इन भाइयों और बहनों के लिए कोई भी विचार,शब्द, भावना या क्षण निष्क्रिय नहीं है - वे मैत्रेय के अधीन बोधिसत्व बन बारहवें स्तर तक पहुँचने के अपने लक्ष्य पर केंद्रित हैं। आप ये भी जान लीजिये कि द्वितीय किरण का रास्ता शब्द और कार्य - अल्फा और ओमेगा - की ब्रह्मांडीय चेतना का आंतरिककरण है। इस तरह निरंतर ईश्वर के पथ पर चलते हुए सुनहरे वस्त्र पहने ये भाई और बहन ईश्वर के गुणों को आत्मसात कर लेते हैं।[2]

रूथ जोंस

१९७६ में कुथुमी ने बताया था कि लौ रक्षक रूथ जोंस इस वर्ग की एक सदस्य है:

आज मैं आप लोगों के बीच रह रही एक लौ रक्षक के आध्यात्मिक उत्थान की घोषणा करता हूँ। ये अपने साथ बहुत सारा विवेक और इस बात का ज्ञान लेकर आयीं है कि ईश्वर के बच्चों की देखभाल कैसे करनी है। लौ रक्षक रूथ जोंस का आध्यात्मिक उत्थान १९७६ का पहला आध्यात्मिक उत्थान है। रूथ जोंस लगभग दस साल तक संदेशवाहकों के साथ पुनरुत्थान के आश्रयस्थल (Retreat of the Resurrection Spiral) पर रहीं। ईश्वर ने कुछ समय इन्हें ईसा मसीह के कठिन रास्तों से गुज़ारा ताकि वे इन्हें अमरत्व प्रदान कर सकें।

जनवरी ३, १९७६ को शाम के ५ बजे, ईश्वर की अनुकम्पा से यह बेटी उत्थान की लौ में प्रवाहित हुई। जानते बूझते उस वृद्ध व्यक्ति को समय और सीमा के परे ले जाते हुए, उन्होंने अपने भौतिक शरीर का त्याग कर एक दिव्य शरीर धारण किया। सभी चीज़ों को सहन करते हुए, सभी चीज़ों पर विश्वास करते हुए, सभी चीज़ों की आशा करते हुए, सभी चीज़ों को सहते हुए, उसने संतों की गवाही के वचन के द्वारा विजय प्राप्त की।

रूथ जोंस की उन्नत उपस्थिति के अधिकार से मैं उनके आवरण की किरण, उनके समर्पण की गति, उन सब लौ के रक्षकों और जीवात्माओं को हस्तांतरित करता हूं जो इस घोषणा को पढ़ेंगे और जिनका चेतना तथा आध्यात्मिक उत्थान में विश्वास होगा। रूथ जोंस का ह्रदय सन्देशवाहकों तथा दिव्यगुरूओं के प्रति कृतज्ञता से भरपूर है जिनकी वजह से उनकी घरवापसी (ईश्वर से मिलन) हुई। वे सभी अविनाशी गुरुओं के साथ मिलकर जीवात्माओं को ऊपर उठने का रास्ता एवं तरीका बताती हैं।[3]

वर्ग में जाने की शुरुआत

कुथुमी वर्ग में प्रवेश करने का आमंत्रण देते हैं:

मैं शांति के गुरु के रूप में जाना जाता हूँ, परन्तु मैं चाहूंगा की मुझे केवल गोल्डन रोब का ब्रदर कहा जाए। ये वह वर्ग है जिसकी स्थापना सदियों पहले उन्होंने करी थी जो जानते थे कि सच्चा ज्ञान ही शान्ति और अंततः समझदारी प्रदान करता है।[4] हम अपने दस्ते में आध्यात्मिक रूप से उत्थान प्राप्त किये हुए उन सभी को गिनते हैं जिन्होंने मानव जाति को शांति प्रदान करने के साधन के रूप में रोशनी की सुनहरी लौ का समर्थन किया है। हम उनको भी अपने दस्ते का हिस्सा मानते हैं जो ईश्वर के ज्ञान और विवेक का शांतिपूर्वक प्रतिनिधित्व करने की इच्छा रखते हैं।

हम नए सदस्यों की खोज में हैं। ये लेख मैं आपको ये बताने के लिए लिख रहा हूँ कि हमारे प्रकोष्ठ, पुस्तकालय और आश्रयस्थलों में उन लोगों के लिए रिक्त स्थान है जो कर्मठतापूर्वक ईश्वर की उपासना करते हैं तथा ज्ञान के इच्छुक अन्य लोगों की सहायता को सदा तैयार रहते हैं।[5]

इसे भी देखिये

कुथुमी

कैथेड्रल ऑफ़ नेचर (कश्मीर में कुथुमी का आश्रयस्थल)

स्रोत

Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Saint Germain On Alchemy: Formulas for Self-Transformation.

एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट, अप्रैल १६, १९७५

  1. संत जर्मेन, मार्च २२, १९७५
  2. कुथुमी, “The ‘Second Coming’ of the Saints,” Pearls of Wisdom, vol. 32, no. 61.
  3. कुथुमी एंड ब्रदर्स ऑफ़ गोल्डन रोब, “Keepers of the Flame Are Ascending Day by Day,” Pearls of Wisdom, vol. 19, no. 3, जनवरी १८, १९७६.
  4. Phil. 4:7.
  5. कुथुमी, Pearls of Wisdom, vol. 16, no. 11, मार्च १८, १९७३. Elizabeth Clare Prophet, The Opening of the Temple Doors, दूसरे अध्याय में भी प्रकाशित हुई