Buddha/hi: Difference between revisions

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२५ शताब्दियाँ पूर्व गौतम को बुद्ध का ज्ञान प्राप्त हुआ था - जिस मार्ग का अनुसरण वे कई जन्मों से कर रहे थे, उसका समापन तब हुआ जब उन्हें बोधि वृक्ष के नीचे बैठकर [[Special:MyLanguage/meditation|ध्यान]] लगाते हुए ४९ दिन हो चुके थे - इसी से उनका नाम गौतम बुद्ध पड़ा। उनके पास [[Special:MyLanguage/Lord of the World|विश्व के भगवान]] का पद है। वे अपने कारक शरीर और [[Special:MyLanguage/threefold flame|त्रिदेव ज्योत]] द्वारा, व्यक्तिगत [[Special:MyLanguage/Christhood|आत्मिक उत्थान]] के पथ पर चलने वाले पृथ्वीवासियों को दिव्य उत्साह
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और चेतना प्रदान करते हैं। [[Special:MyLanguage/Divine Mother|दिव्य माँ]] के प्रति असीम भक्ति के कारण इनका आभामंडल स्नेह और विवेक से भरा हुआ है और इसी विवेक और प्रेम को वे सम्पूर्ण पृथ्वी पर फैलाते हैं। गौतम बुद्ध [[Special:MyLanguage/Sanat Kumara|सनत कुमार]] के आश्रय स्थल [[Special:MyLanguage/Shamballa|शंबाला]] के अध्यक्ष हैं। शम्भाला गोबी मरुस्थल के ऊपर [[Special:MyLanguage/etheric plane|आकाशीय स्तर]] में स्थित है। १८ अप्रैल १९८१ को गौतम बुद्ध ने [[Special:MyLanguage/Western Shamballa|पश्चिमी शंबाला]] के स्थापना की। यह अमरीका के येल्लोस्टोन नेशनल पार्क (Yellowstone National Park) की उत्तरी सीमा पर [[Special:MyLanguage/Royal Teton Ranch|रॉयल टीटन रैंच]] की [[Special:MyLanguage/Inner Retreat|इनर रिट्रीट]] पर स्थित है।  
और चेतना प्रदान करते हैं। [[Special:MyLanguage/Divine Mother|दिव्य माँ]] के प्रति असीम भक्ति के कारण इनका आभामंडल स्नेह और विवेक से भरा हुआ है और इसी विवेक और प्रेम को वे सम्पूर्ण पृथ्वी पर फैलाते हैं। गौतम बुद्ध [[Special:MyLanguage/Sanat Kumara|सनत कुमार]] के आश्रय स्थल [[Special:MyLanguage/Shamballa|शंबाला]] के अध्यक्ष हैं। शम्भाला गोबी मरुस्थल के ऊपर [[Special:MyLanguage/etheric plane|आकाशीय स्तर]] में स्थित है। १८ अप्रैल १९८१ को गौतम बुद्ध ने [[Special:MyLanguage/Western Shamballa|पश्चिमी शंबाला]] के स्थापना की। यह अमरीका के येल्लोस्टोन नेशनल पार्क (Yellowstone National Park) की उत्तरी सीमा पर [[Special:MyLanguage/Royal Teton Ranch|रॉयल टीटन रैंच]] की [[Special:MyLanguage/Inner Retreat|इनर रिट्रीट]] पर स्थित है।  



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तिब्बती बौद्ध धर्म में लोकप्रिय सूत्र ऑफ़ थ्री हीप्स (Sutra of the Three Heaps) (संस्कृत: त्रिस्कंधधर्मसूत्र) से ज्ञात 35 कन्फेशन बुद्धों (Confession Buddhas) का एक महायान चित्रण

[यह संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है बुद्ध, “जागृत”, “जानना”, “बोध होना”] बुद्ध के अर्थ है “अभिज्ञात”, “ज्ञानी”। यह आध्यात्मिक पदक्रम (hierarchy) का वह चरण है जिसमे प्रवेश पवित्र आंतरिक अग्नि की विशेष दीक्षाओं में उत्तीर्ण होने पर मिलता है। ईश्वरीय मार्ग प्राप्ति की सात किरणें (seven rays), पांच गुप्त किरणें (five secret rays), कुण्डिलिनी (Kundalini) जागरण इसमें शामिल हैं।[1]

गौतम बुद्ध

मुख्य लेख: गौतम बुद्ध

२५ शताब्दियाँ पूर्व गौतम को बुद्ध का ज्ञान प्राप्त हुआ था - जिस मार्ग का अनुसरण (pursued) वे कई जन्मों से कर रहे थे, उसका समापन तब हुआ जब उन्हें बोधि वृक्ष के नीचे बैठकर ध्यान लगाते हुए ४९ दिन हो चुके थे - इसी से उनका नाम गौतम बुद्ध पड़ा। उनके पास विश्व के भगवान का पद है। वे अपने कारक शरीर और त्रिदेव ज्योत द्वारा, व्यक्तिगत आत्मिक उत्थान के पथ पर चलने वाले पृथ्वीवासियों को दिव्य उत्साह और चेतना प्रदान करते हैं। दिव्य माँ के प्रति असीम भक्ति के कारण इनका आभामंडल स्नेह और विवेक से भरा हुआ है और इसी विवेक और प्रेम को वे सम्पूर्ण पृथ्वी पर फैलाते हैं। गौतम बुद्ध सनत कुमार के आश्रय स्थल शंबाला के अध्यक्ष हैं। शम्भाला गोबी मरुस्थल के ऊपर आकाशीय स्तर में स्थित है। १८ अप्रैल १९८१ को गौतम बुद्ध ने पश्चिमी शंबाला के स्थापना की। यह अमरीका के येल्लोस्टोन नेशनल पार्क (Yellowstone National Park) की उत्तरी सीमा पर रॉयल टीटन रैंच की इनर रिट्रीट पर स्थित है।

मैत्रैय

मुख्य लेख: मैत्रैय

मैत्रैय को ब्रह्मांडीय चेतना भी कहा जाता है। इन्होने भी बुद्ध की कई दीक्षाएँ उत्तीर्ण की हैं। ये काफी इंतज़ार के बाद आये और इनका कार्य सनत कुमार के मार्ग से भटके हुए लोगों को शिक्षित कर दोबारा रास्ते पर लाना है। गौतम बुद्ध और मैत्रेय दोनों ही सनत कुमार इस वंशावली से हैं।

अन्य बुद्ध

पृथ्वी के इतिहास में अनेकानेक बुद्ध हुए हैं, और इन सभी ने मानव जाति के विकास में बोद्धिसत्व के विभिन्न चरणों में सेवा की है। पूर्व में ईसा मसीह को बुद्ध ईसा कहा जाता है। इन्होने प्रेम और विवेक के साथ विश्व की रक्षा की है।

नौ बुद्ध जिन्होंने १९६४ में जन्म लिया

१९६० के दशक में, बुद्ध की दीक्षाओं को पारित करने वाली नौ अनवतीर्ण जीवधराओं ने स्वेच्छा से पृथ्वी पर जन्म लेने का निर्णय लिया ताकि वे पृथ्वीवासियों को कुम्भ राशि के युग में प्रवेश करवा पाएं। मानव जाति के कल्याण के लिए उठाया गया उनका ये कदम उस वक्त पहचाना जाएगा जब वे ईसा और बुद्ध की आयु, तैंतीस से छत्तीस वर्ष, तक पहुंच जाएंगे।

कैलिफ़ोर्निया के लॉस एंजेलिस शहर में ४ नवम्बर १९६६ में दी गयी एक दिव्य वाणी में गॉडेस ऑफ़ प्यूरिटी ने कहा था:

दो वर्ष पहले ब्रह्मांडीय पवित्रता की महान ज्योति से पृथ्वी पर नौ बच्चों का जन्म हुआ था - ये ही बुद्ध थे, पिता के ह्रदय के पैदा हुए बुद्ध। ईश्वर की ये इच्छा थी कि ये पवित्र बच्चे त्रिगुण-तीन की शक्ति से मानव जाति में ईश्वरीय पवित्रता की महान चेतना को जागृत करेंगे - वही चेतना जो आपके प्रिय गौतम बुद्ध ने धारण की थी।

मैं आज आपके पास वह सन्देश लेकर आया हूँ जिसे सुनकर आप अधिक डिक्रीस करने की ज़रुरत को समझ पाएंगे। इन नौ बच्चों में से अब केवल आठ बचे हैं - एक जीवन के रंगमंच से ओझल हो चुका है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उस बच्चे के आसपास का वातावरण इतना अशुद्ध था और पवित्रता की लौ इतनी क्षीण थी कि उस बच्चे के हृदय में प्रकाश लाना असंभव था। इसी वजह से वह बच्चा डाल से कटे हुए फूल की तरह गिर गया। इसलिए अब िउनमे से अब सिर्फ आठ बुद्ध इस ग्रह पर हैं....

जब तक इस ग्रह पर इन बुद्धों और ईश्वर के सभी पुत्रों के लिए प्रतिदिन दिल से ईश्वर का आह्वान नहीं किया जाता, तब तक पृथ्वी उन नेताओं से वंचित रहेगी जिनकी शासन प्रणाली, धर्म, कला, विज्ञान और अन्य क्षेत्रों में आवश्यकता है - ऐसे नेता ही मानव जाति को स्वर्ण युग में ले हजा सकता है।

ईसा मसीह ने ४ जुलाई १९६९ को इन नौ बुद्धों के पुनर्जन्म के बारे में बात की थी:

हम उस पवित्र बुद्ध को दुबारा ले आएंगे। वह इस वर्ष चेन्नई, भारत में जन्म लेगा जहाँ एक पवित्र युगल दम्पति उसका पालन पोषण करेंगे ।

निर्वाण से नौ बुद्ध

गौतम बुद्ध ने १ जनवरी १९८३ को ये घोषणा की थी जो नौ बुद्ध नौ सौ साल से निर्वाण में थे वे अब पृथ्वी पर नौ व्यक्तियों के ह्रदय में प्रवेश करने के लिए प्रकाश की किरण को नीचे उतार रहे हैं और अपनी इलेक्ट्रॉनिक उपस्थिति द्वारा ईश्वर के प्रति समर्पित हज़ारों लोगों के बलक्षेत्र में शामिल हो रहे हैं। गौतम बुद्ध ने यह व्यवस्था भी जारी की कि उस समय ईसा मसीह और बुद्ध के भक्तों द्वारा की गई प्रत्येक उपासना और मंत्र, की शक्ति गौतम बुद्ध और उन नौ बुद्धों के ह्रदय की ताकत से कई गुणा बढ़ जाएगा।

See also

विश्व के स्वामी

गौतम बुद्ध

मैत्रेय

शंबाला

अधिक जानकारी के लिए

Elizabeth Clare Prophet, Quietly Comes the Buddha: Awakening You Inner Buddha-Nature

Elizabeth Clare Prophet, Maitreya on Initiation

स्रोत

Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Saint Germain On Alchemy: Formulas for Self-Transformation.

  1. देखिये “The Seven in the Seven and the Test of the Ten,” Kuthumi and Djwal Kul, The Human Aura: How to Activate and Energize Your Aura and Chakras, bk. 2, chap. 10.