Translations:Christ/11/hi: Difference between revisions
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प्रत्येक जीवात्मा का व्यक्तिगत '''[[Special:MyLanguage/Christ Self|उच्च चेतना]]''' से पुनर्मिलन का यह पहला कदम है। जब कोई व्यक्ति आध्यात्मिक मार्ग पर चल कर उच्च चेतना की दीक्षाओं में सफल हो जाता है, जिसमें "[[Special:MyLanguage/dweller-on-the-threshold|मानसिक दहलीज़ पर नकरात्मक रूप]]" पर विजय पाना भी शामिल है, तो वह चैतन्य कहलाने का अधिकार अर्जित करता है और [[Special:MyLanguage/sons and daughters of God|ईश्वर का पुत्र या पुत्री | प्रत्येक जीवात्मा का व्यक्तिगत '''[[Special:MyLanguage/Christ Self|उच्च चेतना]]''' से पुनर्मिलन का यह पहला कदम है। जब कोई व्यक्ति आध्यात्मिक मार्ग पर चल कर उच्च चेतना की दीक्षाओं में सफल हो जाता है, जिसमें "[[Special:MyLanguage/dweller-on-the-threshold|मानसिक दहलीज़ पर नकरात्मक रूप]]" पर विजय पाना भी शामिल है, तो वह चैतन्य कहलाने का अधिकार अर्जित करता है और [[Special:MyLanguage/sons and daughters of God|ईश्वर का पुत्र या पुत्री]] की उपाधि प्राप्त करता है। पिछले युगों में जिन लोगों ने यह उपाधि अर्जित की, उन्होंने या तो उस उपलब्धि को पूरी तरह से घटा दिया या आगामी जन्मों में इसे प्रकट करने में विफल रहे। इस युग में इन लोगो से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपनी आंतरिक ईश्वर-निपुणता को सामने लाएँ और भौतिक अवतार में रहते हुए इसे भौतिक स्तर पर पूर्ण करें। |
Revision as of 11:10, 26 February 2024
प्रत्येक जीवात्मा का व्यक्तिगत उच्च चेतना से पुनर्मिलन का यह पहला कदम है। जब कोई व्यक्ति आध्यात्मिक मार्ग पर चल कर उच्च चेतना की दीक्षाओं में सफल हो जाता है, जिसमें "मानसिक दहलीज़ पर नकरात्मक रूप" पर विजय पाना भी शामिल है, तो वह चैतन्य कहलाने का अधिकार अर्जित करता है और ईश्वर का पुत्र या पुत्री की उपाधि प्राप्त करता है। पिछले युगों में जिन लोगों ने यह उपाधि अर्जित की, उन्होंने या तो उस उपलब्धि को पूरी तरह से घटा दिया या आगामी जन्मों में इसे प्रकट करने में विफल रहे। इस युग में इन लोगो से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपनी आंतरिक ईश्वर-निपुणता को सामने लाएँ और भौतिक अवतार में रहते हुए इसे भौतिक स्तर पर पूर्ण करें।