Cosmic being/hi: Difference between revisions

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(1) वह [[Special:MyLanguage/ascended master|दिव्यगुरु]] (ascended master) जिसने [[Special:MyLanguage/cosmic consciousness|ब्रह्मांडीय चेतना]] (cosmic consciousness) प्राप्त कर ली है और जो आकाशगंगाओं (galaxies) से दूर कई दुनियाओं और दुनिया की प्रणालियों (systems) के [[Special:MyLanguage/light|प्रकाश]]/ऊर्जा/चेतना से  [[Special:MyLanguage/Great Central Sun|महान केंद्रीय सूर्य]] (Great Central Sun) के पीछे के सूर्य तक पहुंचने में सामर्थ है।  
(1) वह [[Special:MyLanguage/ascended master|दिव्यगुरु]] (ascended master) जिसने [[Special:MyLanguage/cosmic consciousness|ब्रह्मांडीय चेतना]] (cosmic consciousness) प्राप्त कर ली है और जो आकाशगंगाओं (galaxies) से दूर कई दुनियाओं और दुनिया की प्रणालियों (systems) के [[Special:MyLanguage/light|प्रकाश]]/ऊर्जा/चेतना से  [[Special:MyLanguage/Great Central Sun|महान केंद्रीय सूर्य]] (Great Central Sun) के पीछे के सूर्य तक पहुंचने में सामर्थ है।  


(2) भगवान का एक बंदा जो कभी भी [[Special:MyLanguage/Christ|आत्मा]] के स्तर से नीचे नहीं उतरा, जिसने कभी भी भौतिक अवतार नहीं लिया, जिसने कभी भी पाप [[Special:MyLanguage/karma|कर्म]] नहीं किया, जो हमेशा [[Special:MyLanguage/Cosmic Virgin|ब्रह्मांडीय अक्षत]] (Cosmic Virgin) का हिस्सा बना रहा और जो आत्माओं की दुखों की घाटी से माँ के पवित्र ह्रदय में वापसी के लिए एक ब्रह्मांडीय संतुलन बनाये रखता है।
(2)ईश्वर का वह जीव जो कभी भी [[Special:MyLanguage/Christ|आत्मा]] के स्तर से नीचे नहीं उतरा, जिसने कभी भी भौतिक अवतार नहीं लिया, जिसने कभी भी पाप [[Special:MyLanguage/karma|कर्म]] नहीं किया, जो हमेशा [[Special:MyLanguage/Cosmic Virgin|ब्रह्मांडीय अक्षत]] (Cosmic Virgin) का हिस्सा बना रहा और जो आत्माओं की दुखों की घाटी से माँ के पवित्र ह्रदय में वापसी के लिए एक ब्रह्मांडीय संतुलन बनाये रखता है।


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Revision as of 10:14, 29 February 2024

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(1) वह दिव्यगुरु (ascended master) जिसने ब्रह्मांडीय चेतना (cosmic consciousness) प्राप्त कर ली है और जो आकाशगंगाओं (galaxies) से दूर कई दुनियाओं और दुनिया की प्रणालियों (systems) के प्रकाश/ऊर्जा/चेतना से महान केंद्रीय सूर्य (Great Central Sun) के पीछे के सूर्य तक पहुंचने में सामर्थ है।

(2)ईश्वर का वह जीव जो कभी भी आत्मा के स्तर से नीचे नहीं उतरा, जिसने कभी भी भौतिक अवतार नहीं लिया, जिसने कभी भी पाप कर्म नहीं किया, जो हमेशा ब्रह्मांडीय अक्षत (Cosmic Virgin) का हिस्सा बना रहा और जो आत्माओं की दुखों की घाटी से माँ के पवित्र ह्रदय में वापसी के लिए एक ब्रह्मांडीय संतुलन बनाये रखता है।

स्रोत

Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Saint Germain On Alchemy: Formulas for Self-Transformation.