Mary, the mother of Jesus/hi: Difference between revisions

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१९८४ में मेरी ने कहा था:
१९८४ में मेरी ने कहा था:


<blockquote>मैं फ़ातिमा की भविष्यवाणी के साथ जीती हूँ। मैं उस संदेश के साथ जीती हूँ। और मैं हर दर और दिल का दरवाज़ा खटखटाती हूँ, लोगों से पूछती हूँ कि क्या वे मेरे साथ प्रार्थना करने के लिए आगे आएंगे - क्या वे वायलेट लौ या की डिक्रीस करेंगे या माला जपेंगे या फिर [[महादूत माइकल]] का  आह्वान करेंगे। प्रार्थना करने से ही द्वार खुलते हैं और देवदूत आकर आपदा और विपत्ति को रोकने के लिए काम करते हैं।<ref>मदर मैरी, "द कंटीन्यूटी ऑफ़ बीइंग," {{POWref|२७|६३|, ३० दिसंबर, १९८४}}</ref></blockquote>
<blockquote>मैं फ़ातिमा की भविष्यवाणी के साथ जीती हूँ। मैं उस संदेश के साथ जीती हूँ। और मैं हर दर और दिल का दरवाज़ा खटखटाती हूँ, लोगों से पूछती हूँ कि क्या वे मेरे साथ प्रार्थना करने के लिए आगे आएंगे - क्या वे वायलेट लौ या की डिक्रीस करेंगे या माला जपेंगे या फिर [[Special:MyLanguage/Archangel Michael|महादेवदूत माइकल]] का  आह्वान करेंगे। प्रार्थना करने से ही द्वार खुलते हैं और देवदूत आकर आपदा और विपत्ति को रोकने के लिए काम करते हैं।<ref>मदर मैरी, "द कंटीन्यूटी ऑफ़ बीइंग," {{POWref|२७|६३|, ३० दिसंबर, १९८४}}</ref></blockquote>


देवदूतों की मध्यस्थता से अनेकों बार चमत्कार हुए हैं। जब १९४५ में हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया गया था, तो परमाणु विस्फोट के केंद्र से आठ ब्लॉक दूर रहने वाले आठ लोग चमत्कारिक रूप से अछूते रहे थे। उनमें से एक, फादर ह्यूबर्ट शिफनर, एस.जे. ने बताया, "उस घर में हर दिन माला का जाप किया जाता था। उस घर में, हम फातिमा के संदेश को जी रहे थे।"<ref>फ्रांसिस जॉनस्टन, ''फातिमा: द ग्रेट साइन'' (वाशिंगटन, एन.जे.: एएमआई प्रेस, १९८०), पृष्ठ १३९.</ref>
देवदूतों की मध्यस्थता से अनेकों बार चमत्कार हुए हैं। जब १९४५ में हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया गया था, तो परमाणु विस्फोट के केंद्र से आठ ब्लॉक दूर रहने वाले आठ लोग चमत्कारिक रूप से अछूते रहे थे। उनमें से एक, फादर ह्यूबर्ट शिफनर, एस.जे. ने बताया, "उस घर में हर दिन माला का जाप किया जाता था। उस घर में, हम फातिमा के संदेश को जी रहे थे।"<ref>फ्रांसिस जॉनस्टन, ''फातिमा: द ग्रेट साइन'' (वाशिंगटन, एन.जे.: एएमआई प्रेस, १९८०), पृष्ठ १३९.</ref>

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मदर मेरी, रुथ हॉकिंस

मदर मेरी पंचम किरण की दिव्य सहायिका तथा महादेवदूत रफाएल की समरूप जोड़ी हैं।

शुक्र ग्रह पर इनका कार्य

महादेवदूत होने के बावजूद मेरी ने भौतिक अवतार लिया था। पृथ्वी पर जन्म लेने से पहले मेरी शुक्र ग्रह पर रहतीं थीं। शुक्र ग्रह पर मेरी की नियुक्ति कर्म के स्वामी ने की थी ताकि हव्वा के पतन के बाद उनके द्वारा स्त्री किरण के उत्थान को दर्शाया जा सके। वहाँ उन्होंने उन उन साम्राज्यों के बीच सेवा की जिनकी ऊर्जा आकाशीय स्तर पर केंद्रित है और जिन्होंने हजारों वर्षों से सद्भाव और प्रेम के नियमों द्वारा दिव्य माँ की सभ्यता व् संस्कृति को बनाए रखा है।

शुक्र ग्रह पर लंबे समय तक रहने के दौरान मेरी को धरती पर रहने और मानव जाति द्वारा की गई ब्रह्मांडीय सम्मान की लौ की विकृति को चुनौती देने के लिए तैयार किया गया था ताकि वे मनुष्यों में ईश्वर के नियमों का पालन करना सीख जाएँ - ये ईश्वर के वो नियम हैं जो अणुओं की गति तथा आकाशीय पिंडों के लय को बनाये रखते हैं। मेरी अपने साथ लेडी वीनस के आग्नेय तत्त्व के एक बड़ा हिस्सा लेकर आयीं थीं, जो उनके प्रेम से परिपूर्ण था, और मेरी के ऊपर मानव जाति में स्त्रीत्व को पुनः जागृत करने की ज़िम्मेदारी थी।

पृथ्वी पर जन्म

एटलांटिस

एटलांटिस के शुरुआती दिनों में मेरी ने हीलिंग टेम्पल में कार्य किया जहां उन्होंने ईश्वर की पवित्र लौ की देखभाल की और चिकित्सा की विभिन्न विधाओं का अध्ययन किया। उन्होंने ईश्वर के मन में स्थित जीवात्मा की शुद्ध संकल्पना के प्रति अपने मन को एकाग्र किया और उसके प्रति समर्पण करना भी सीखा। इसकी वजह से न सिर्फ हीलिंग टेम्पल में लौ बरकरार रही वरन पूरे एटलांटिस में इसका विस्तार भी हुआ। मेरी के हृदय की पवित्र लौ और ईश्वर के प्रति भक्ति उनके चेहरे पर चमकती थी, और उस मंदिर में आने वाले सभी लोग ये स्पष्ट रूप से देख भी सकते थे। इस जन्म में मेरी अविवाहित रहीं और उन्होंने अपना पूरा जीवन इस मंदिर की सेवा में अर्पित किया।

राजा डेविड की माँ

जब पैगम्बर शमूएल पृथ्वी पर थे तब मेरी जेसी नमक व्यक्ति की पत्नी थीं और उसके आठ बेटे थे। मेरी ने अपने हर जन्म में सदैव माँ की लौ को दर्शाया और इस जन्म में भी उन्होंने अपने पहले सात पुत्रों में आत्मा की सातों किरणों के प्रकाश को बढ़ाया। परन्तु अपने सबसे छोटे पुत्र, डेविड, में उन्होंने न केवल इन सातों किरणों के गुणों का विस्तार किया बल्कि आठवीं किरण का प्रकाश भी बढ़ाया। इन सभी गुणों को राजा डेविड ने अपने शासन काल के दौरान दिखाया और अपने भजनों में लिखा भी।

डेविड ने ईसा मसीह के रूप में पुनर्जन्म लिया था - सो, भजन संहिता द्वारा इस्राएलियों को आत्म-प्रवीणता प्राप्त करने वाले व्यक्ति की शिक्षाओं का ज्ञान मिला, जबकि जेनटिल्स (जो यहूदी नहीं हैं) ईसा मसीह द्वारा दिए गए ज्ञान पर चिंतन करते हैं - और सभी उनके (राजा डेविड, जिन्हें इस्राएल और नए यरूशलेम के राजा के रूप में जाना जाता है) द्वारा निर्धारित लक्ष्य तक पहुँचाने का प्रयास करते हैं। और इसलिए यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि आज यरूशलेम शहर के ऊपर स्थित सेनेकल (Cenacle) के ऊपरी कमरे में जहाँ ईसा मसीह और उनके शिष्यों ने अंतिम भोज मनाया था, जहाँ ईसा मसीह अपने पुनरुत्थान के बाद प्रकट हुए थे, और जहाँ पवित्र आत्मा का अवतरण हुआ था - ईसाई प्रार्थना करते हैं। और उसी घर के निचले हिस्से में एक मंदिर है जहाँ यहूदी डेविड की कब्र पर पूजा करते हैं। जो लोग मेरी की पूजा करते हैं उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की मेरी यहूदियों और ईसाईयों दोनों की माँ हैं।

द वर्जिन ऑफ द रॉक्स, लियोनार्डो दा विंची (१४८३–८६)
द होली फैमिली, राफेल फ्लोरेस (१८५७)

जीसस की माँ

पृथ्वी पर अपने अंतिम जन्म में मेरी पदक्रम के आदेशानुसार जीसस के जन्म हेतु आगे आयीं। जीसस का कार्य रसायन शास्त्र के नियमानुसार मनुष्य को पाप, बीमारी और मृत्यु पर प्राप्त करने का रास्ता दिखाना था। बचपन में ही मेरी को विज्ञान में प्रशिक्षित करने के लिए एक मंदिर में रखा गया था। उनकी समरूप जोड़ी, महादेवदूत राफेल, ने अन्य देवदूतों और देव और देवी मेरु के साथ मिलकर उन्हें मातृ सिद्धांत का विकास करने में सहायता की ताकि उनकी चेतना जीसस को जन्म देने के लिए तैयार हो पाएं।

बचपन में मेरी ने अपनी चेतना को एटलांटिस पर अपने पिछले जन्म के दौरान प्राप्त किये गए ज्ञान पर केंद्रित किया। मेरी और जीसस की सुरक्षा के लिए जोसेफ (सेंट जर्मेन का एक अवतार) को भेजा गया था। ये तीनो मिलकर एक पवित्र परिवार का निर्माण करते हैं, और त्रिदेव ज्योत भी इन्हीं से बनती है - यह ही पूरे ईसाई धर्म का आधार है।

इस जन्म से हज़ारों साल पहले, मेरी ने पाँचवीं किरण का आह्वान किया था। उन्होंने इस बात का भी अध्ययन किया था कि आत्मा का सही रूप क्या है और उसे कैसे धारण किया जा सकता है; इसके लिए किस वस्तु की आवश्यकता है - फूल, मंदिर, लौ, कोई कलाकृति या फिर एक पूरी सभ्यता! चाहे कुछ भी हो पर एक ऐसी जीवनधारा अवश्य होनी चाहिए जो इस कार्य के प्रति पूर्णरूप से समर्पित हो, जो इसके विभिन्न अंशों की कल्पना कर पाए और जिसकी चेतना इतनी सशक्त हो कि पवित्र आत्मा की ऊर्जावान शक्ति उस चेतना से प्रवाहित हो इसे रूप और जीवन दे पाए। यह कार्य ईश्वरत्व के मातृत्व की स्त्री किरण के प्रतिनिधि का है। मेंरी ने जीसस के लिए इस भूमिका को निभाया, और इसलिए उनकी चेतना के माध्यम से जीसस में पवित्रता, शक्ति और प्रेम का उदय हुआ जिसने वे अपने मिशन को पूरा करने में समर्थ हुए।

जीसस सुदूर पूर्व हिमालय में काफी समय मैत्रेय बुद्ध के शिष्य बनकर रहे और जब वे वापिस लौटे तो उन्होंने सार्वजनिक जीवन में प्रवेश किया। यह समय उनकी माँ मेरी के लिए बहुत चुन्नोती पूर्ण था, और यह कहना गलत नहीं होगा की मेरी द्वारा पांचवीं किरण के आह्वान ने ही मेरी को अंत तक जीत के सांचे को बनाए रखने में सक्षम बनाया।

बाद के वर्ष

चालीस दिन की अवधि के बाद, जिसके दौरान जीसस धर्मदूतों और ऊपरी कमरे की पवित्र महिलाओं के सामने प्रकट हुए, मेरी ने उन अनुयायियों को इकट्ठा किया जिन्होंने स्वयं को दीक्षा में निहित रहस्यों में भाग लेने के लिए तैयार किया था। ये शिष्य अक्सर जीसस के पवित्र वचनों को सुनने तथा उनके निर्देश प्राप्त करने करने के लिए एकत्रित होते थे। पेंटिकोस्ट (Pentecost) के दिन पवित्र आत्मा के अवतरण द्वारा इन्हें पृथ्वी पर ईश्वर के समतुल्य बनाया गया - इनकी आत्माओं के समर्पण ने ही ईसाई चर्च की नींव रखी।

मदर मेरी को प्रकाश वाहकों के समुदाय का मुखिया माना जाता है। इस समुदाय में धर्मदूत, शिष्य, पवित्र महिलायें सभी आते हैं। मेरी पवित्र भूमि, भूमध्य सागर और एशिया माइनर में प्रवाहित होने वाली आत्मिक ऊर्जाओं का वास्तविक स्रोत थीं। मेरी के हृदय से निकलते पवित्र आत्मा की अग्नि के संकेंद्रित छल्ले पिता-माता के आलिंगन के सामान स्नेहपूर्वक पूरी मानवता को आत्मसात करते हैं।

ऐसा माना जाता है कि मेरी ने अपने जीवन के अंतिम वर्ष यरुशलम में बिताए और लगभग 48 वर्ष में उन्होंने अपने भौतिक शरीर का त्याग किया। स्थानीय परंपरा के अनुसार मेरी को यरुशलम में होने वाले उत्पीड़न से बचाने के लिए जॉन इफिसुस नामक शहर ले गए।[1]

किंवदंती है कि प्रारंभिक चर्च की माँ (मदर मेरी) ने पृथ्वी के विकास के लिए माउंट ज़िओन में एक घर - जो कि सेड्रॉन वैली और माउंट ऑफ़ ऑलिव्स से दिखता था - माँ की लौ को बनाये रखा था। इस घर में ऊपर के कमरे में (जहाँ शिष्य एकत्रित हुआ करते थे ) पहला ईसाई चर्च स्थापित किया गया था, और यहीं से मेरी ने अपने अंतिम वर्षों के दौरान लोगो की सेवा की थी। इस स्थान को मदर मेरी का शयनस्थान मानकर ईसाई इसकी पेहरदारी करते हैं।

मेरी का शरीर त्याग

डमस्कस के सेंट जॉन के अनुसार सेवा और दीक्षा की शानदार अवतार मेरी अपने अंत समय कब्र (जिसमे शिष्यों ने उनके पार्थिव शरीर को रखा था) से निकल गयी थीं। तीन दिन बाद जब उनकी कब्र खोली गयी तो वहां लिली के बारह सफ़ेद फूल मिले।

मृत्योपरांत ईसाईयों ने मेरी को स्वर्ग की रानी की उपाधि से अलंकृत किया और उन्हें विश्व माता का प्रतिनिधि भी कहा। यद्यपि सभी महिला दिव्यगुरु विश्व माता की प्रतिनिधि हैं और उनकी लौ अपने पास रखती हैं, मदर मैरी को हम मातृत्व का आदर्श, और सभी माताओं की माँ मानते हैं।

१९५४ तक जीसस और मदर मेरी ने छठे युग के लिए पुरुष और स्त्री किरणों को केंद्रित किया। उसके बाद सेंट जर्मेन और पोर्टिया ने सातवीं किरण पर आने वाले सातवें युग के निर्देशकों का पदभार संभाला।

मेरी का प्रकटन

मेरी ने १५ अगस्त को होना शरीर छोड़ा था। इसके बाद से वे कई बार दुनिया भर में प्रकट हुई हैं, और कई बार उन्होंने लोगों को चमत्कारिक रूप से स्वस्थ किया है। पृथ्वी पर अपने अंतिम जन्म के बाद के कुछ वर्षों में उन्होंने भविष्य के अपने प्रकटनों के लिए मंच तैयार किया था - उस दौरान उन्होंने जॉन द बिलवेड और पाँच अन्य लोगों के साथ दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों का भ्रमण किया था।वे सबसे पहले मिस्र के लक्सर में स्थित एसेंशन टेम्पल गए। इसके बाद वे जल मार्ग द्वारा भूमध्य सागर के पार क्रेते द्वीप पर गए - रास्ते में वे जिब्राल्टर जलडमरूमध्य से होते हुए पुर्तगाल में फ़ातिमा, दक्षिणी फ्रांस में लूर्डेस, ब्रिटिश द्वीप में ग्लैस्टनबरी और आयरलैंड में रुके। इन सभी स्थानों पर मेरी और उनके साथियों ने लोगों का ध्यान पाँचवीं किरण की ओर केंद्रित किया और भविष्य में आत्मिक चेतना के विस्तारण का काम करने वालों के लिए नींव तैयार करी।

मेरी की इन सभी यात्राओं ने ग्रीस में धर्मगुरु पॉल के काम और फ़ातिमा और लूर्डेस में उनके खुद के प्रकट होने की नींव रखी। अंतिम भोजन के समय जीसस द्वारा इस्तेमाल किया गया प्याला होली ग्रेल ग्लास्टनबरी के एक कुएँ में दफना दिया गया था। यहाँ पर आत्मा की लौ भी लगाई गई थी जिसने बाद में राजा आर्थर को राउंड टेबल के शूरवीरों का गठन करने और होली ग्रेल की खोज के लिए प्रेरित किया।

सेंट पैट्रिक ने आयरलैंड में स्थापित त्रिदेव ज्योत के फोकस पर ध्यान केंद्रित किया - उन्होंने शेमरॉक के माध्यम से जीवात्मा, आत्मा और परमात्मा की एकता तथा त्रिदेव के आस्तित्व के बारे में भी बताया। पन्ना जैसी हरी उपचारात्मक लौ आज तक आयरलैंड का प्रतीक है, और यह उन सात प्रतिनिधियों द्वारा की गयी बहुत पहले की गयी उस यात्रा की भी याद दिलाती है जिनकी सात किरणों के प्रति भक्ति ने उन्हें पूरे यूरोप और अंततः पश्चिमी गोलार्ध में ईसाई धर्म के विस्तार का मार्ग प्रशस्त करने में सक्षम बनाया।

मैरी के कुछ विशिष्ट प्रकटन

मेरी के विशिष्ट स्वरूपों के बारे में जानकारी के लिए देखें:

गुआडालूप की स्त्री

लूर्डेस

नॉक की स्त्री

फातिमा

ज़ैतोन

गरबंदल

मेडजुगोरजे

माँ का युग

द वर्जिन ऑफ द ग्लोब

कुंभ युग माँ और पवित्र आत्मा का युग है। इस युग में हमें ईश्वर के मातृ रूप का अनुभव भी करना है और उसे व्यक्त भी। ईश्वर के स्त्री रूप को समझने के बाद ही हम स्वयं में इन दोनों स्वरूपों - स्त्री और पुरुष - की रचनात्मकता - सुंदरता, सृजनात्मकता, अंतर्ज्ञान, प्रेरणा को उभार सकते हैं।

पूर्वी देशों में ईश्वर को माँ के रूप में देखना कोई नई बात नहीं है। हिंदू लोग माँ का ध्यान कुंडलिनी देवी के रूप में करते हैं; वे माँ को एक श्वेत प्रकाश या कुंडली मार के बैठे हुए सर्प के रूप में वर्णित करते हैं - यह सर्प मूलाधार चक्र से ऊपर उठ, प्रत्येक चक्र (आध्यात्मिक केंद्र) को सक्रीय और प्रकाशित करता हुआ सहस्रार चक्र तक जाता है। स्त्री और पुरुष दोनों का ही उद्देश्य अपने अंतरतम अस्तित्व के इस पवित्र प्रकाश को जगाना है जो अन्यथा हमारे भीतर सुप्त अवस्था में रहता है। ईश्वर के मातृ स्वरुप की आराधना ही इस ऊर्जा - कुंडलिनी - को खोलने की कुंजी है।

पश्चिमी सभ्यता में भी मातृत्व के विकास पर ज़ोर दिया है। इसी उद्देश्य से मदर मेरी ने कई संतों को हेल मेरी और जपमाला के माध्यम से मातृत्व को विकसित करने के लिए दर्शन दिए। संतों को उनके सिर के चारों ओर एक सफ़ेद रोशनी या प्रभामंडल के साथ चित्रित किया गया है क्योंकि उन्होंने कुंडलिनी को ऊपर उठाया है और अपने सहस्रार चक्र को संतुलित किया है। उन्हें परमानन्द की अनुभूति हो चुकी है। महान ईसाई रहस्यवादी जैसे सेंट जॉन ऑफ़ द क्रॉस, सेंट थेरेसा ऑफ़ लिसीक्स और पाद्रे पियो सभी ने इस परमानन्द की अनुभूयति की है।

हेल मेरी

इस नए युग के लिए मदर मेरी ने एक न्यू एज हेल मेरी और एक न्यू एज रोज़री जारी की है। मेरी ने कहा है कि हेल मेरी प्रार्थना करने से पहले हमें इस बात का दृढ संकल्प करना चाहिए की हम सब ईश्वर के बेटे और बेटियाँ हैं, पापी नहीं। हमें दृढ़तापूर्वक यह भी मानना चाहिए कि हम किसी भी हालत में पाप, बीमारी और मृत्यु पर जीत हासिल करेंगे।

हेल मेरी, फुल ऑफ ग्रेस
द लार्ड इस विद दी
ब्लेस्ड आर दोउ अमंग वीमेन
एंड ब्लेस्ड इस द फ्रूट ऑफ़ दाय वुम्ब, जीसस
होली मेरी, मदर ऑफ़ गॉड,
प्रे फ़ोर अस, संस एंड डॉटर्स ऑफ़ गॉड,
नाउ एंड एट द ऑवर ऑफ़ आवर विक्ट्री
ओवर सिन, डिजीज एंड डेथ।

सदियों से मदर मेरी ने मानवजाति की सैंकड़ों बार सहायता की है। वे हमें व्रत, उपवास करने, प्रार्थना करने और रोजरी करने का आग्रह करती है। मदर मेरी कहती हैं:

मैं आपको जपमाला के द्वारा अपने कारण शरीर तक, उन चौदह अवस्थाओं तक पहुँचने के अवसर प्रदान करती हूँ जिन्हें मैंने लंबे समय तक आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त कर के अर्जित किया है। मैं आपको वह सब शक्ति और उपलब्धि प्राप्त करने का अवसर देती हूँ जो ईश्वर ने मुझे प्रदान की है। और चूँकि मैं ईश्वर की सेविका हूँ, मैं आपको अपनी यह शक्ति देती हूँ ताकि यह आपके भौतिक शरीर और हृदय के माध्यम से आपकी भौतिक दुनिया और भौतिक समस्या के करीब हो सके (और उस समस्या का निदान कर पाए)।[2]

वर्तमान समय में मेरी की सेवा

आजकल मेरी मास्टर एल मोरया और दार्जिलिंग काउंसिल के साथ मिलकर मानवजाति के हित की लिए वो सब काम करती हैं जो ईश्वर की इच्छा के अनुरूप होते हैं। उनके पास नीले रंग का एक लबादा है जो हर जीवात्मा के भीतर उभरने वाली आत्मिक चेतना की रक्षा करता है, और जब भी कोई व्यक्ति माँ को पुकारता है तो मेरी उस लबादे से उसे ढक कर माँ की सुरक्षा देती हैं। महादेवदूत गेब्रियल के साथ मिलकर वे पृथ्वी पर जन्म लेनेवाले बच्चों के लिए रास्ता तैयार करती हैं, वे होनेवाले माता-पिता को शिक्षा देती हैं और शरीर के मौलिक तत्वों को जीवात्माओं का भौतिक शरीर बनाने में मार्गदर्शन भी करती हैं।

रेससेरक्शन टेम्पल का पवित्र हृदय मेरी का केंद्र है, और यह त्रिदेव ज्योत का केंद्र भी है। सेंट जर्मेन और जीसस के साथ मिलकर मेरी ने आने वाले दो हज़ार साल के लिए ईसाई विश्वास और आने वाले युग की नींव रखी।

मेरी कहती हैं, "सदियों से मैंने मनुष्यों को जीवात्माओं की रक्षा करने हेतु ईश्वर की प्रार्थना करने और माला का जाप करने पर ज़ोर दिया है। लाखों लोगों ने मेरा कहा माना है और स्वयं को सुरक्षित किया।"[3] जब मेरी ने फ़ातिमा, मेडजुगोरजे और दुनिया के अन्य स्थानों पर लोगों को दर्शन दिए तो उन्होंने लोगों को यह चेतावनी भी दी कि उनकी बातों को नज़रअंदाज़ करने का फल अच्छा नहीं होगा।

१९८४ में मेरी ने कहा था:

मैं फ़ातिमा की भविष्यवाणी के साथ जीती हूँ। मैं उस संदेश के साथ जीती हूँ। और मैं हर दर और दिल का दरवाज़ा खटखटाती हूँ, लोगों से पूछती हूँ कि क्या वे मेरे साथ प्रार्थना करने के लिए आगे आएंगे - क्या वे वायलेट लौ या की डिक्रीस करेंगे या माला जपेंगे या फिर महादेवदूत माइकल का आह्वान करेंगे। प्रार्थना करने से ही द्वार खुलते हैं और देवदूत आकर आपदा और विपत्ति को रोकने के लिए काम करते हैं।[4]

देवदूतों की मध्यस्थता से अनेकों बार चमत्कार हुए हैं। जब १९४५ में हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया गया था, तो परमाणु विस्फोट के केंद्र से आठ ब्लॉक दूर रहने वाले आठ लोग चमत्कारिक रूप से अछूते रहे थे। उनमें से एक, फादर ह्यूबर्ट शिफनर, एस.जे. ने बताया, "उस घर में हर दिन माला का जाप किया जाता था। उस घर में, हम फातिमा के संदेश को जी रहे थे।"[5]

माँ धन्य हैं, ये अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए और समाज की बुराइयों के खिलाफ बोलने के लिए सदा तत्पर रहती हैं

सिनेमा के आविष्कार के बाद से मनुष्य स्क्रीन में ही घुसा हुआ है। इस भूमि पर अन्धकार छाया हुआ है, मेरे बेटे के नाम का सम्मान करने बहुत काम बचे हैं। राजनीतिज्ञ अपने लौकिक ताज की तलाश में व्यस्त हैं। सृष्टि देवो ने हाल ही में एक दूसरे के साथ मुलाक़ात की है, और वे विश्व के प्रलयात्मक विनाश का प्रारम्भ करने वाले हैं। और यह विनाश तब तक चलता रहेगा जब तक कि स्वार्थी मनुष्यों का ह्रदय ईश्वर की ओर नहीं झुक जाता - ये स्वार्थी लोग मानवजाति की आवश्यकताओं को समझ नहीं पा रहें हैं।[6]

जब तक मनुष्य को अपने अंदर की ईश्वरीय उपस्थिति के बारे में समझ नहीं आता तब तक यूँ ही अप्रिय कार्य होते रहेंगे - सरकारें गिरती रहेंगी, अर्थव्यवस्थाएँ चरमराती रहेगी, धार्मिक स्थल ध्वस्त होते रहेंगे, चरों और अंधकार छा जाएगा, अकाल पड़ेगा, और जीवात्माएं अपने मार्ग से भटक जाएँगी।[7]

Within my Sacred Heart is the acceleration of light this day ... unto the judgment of those who have persistently denied the miracles of the Virgin Mary.... Let there be the judgment of the false teachers who have stolen into the churches with their false theology.... Everyone who has interfered with the birth of these little ones—everyone who has advocated abortion from the pulpits of the churches, I tell you they will suffer exactly the karma that is written in sacred scripture spoken by my Son,[8] and it will not be withheld this day![9]

The immaculate concept

Mother Mary is one of the great teachers of mankind. She instructs us in the science of the immaculate concept, the pure concept or image of the soul held in the mind of God. The immaculate concept is any pure thought held by one part of life for and on behalf of another part of life, and it is the essential ingredient to every alchemical experiment without which it will not succeed. The ability to hold the image of the perfect pattern to be precipitated, to see the vision of a project complete, to draw a mental picture, to retain it and to fill it in with light and love and joy—these are keys to the science that Mother Mary and Saint Germain teach.

God is the supreme practitioner of the science of the immaculate concept. No matter how far man might wander from his individuality, God ever beholds man in the image of Reality in which he created him. This science of the immaculate concept is practiced by every angel in heaven. It is that law that is written in the inward parts of man, known by his very heart of hearts, yet dim in the memory of his outer mind. It is based on the visualization of a perfect idea that then becomes a magnet that attracts the creative energies of the Holy Spirit to his being to fulfill the pattern held in mind.

Lily of the valley

Retreats

Main article: Resurrection Temple

The temple of Archangel Raphael and Mother Mary is in the etheric realm over Fátima, Portugal. Mother Mary also serves with Jesus in the Resurrection Temple over the Holy Land.

Mary blue, the color that we associate with Mother Mary’s love, is almost an aqua—blue tinged with a bit of green—and through it her devotion to healing radiates to all who call to her for assistance. Her fragrance and flame-flower is the lily of the valley, and her keynote is the “Ave Maria” by Schubert.

For more information

For more detailed information about Mary’s embodiments and her service to the earth, see:

Elizabeth Clare Prophet, Mary’s Message for a New Day

Elizabeth Clare Prophet, Mary’s Message of Divine Love

Sources

Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, The Masters and Their Retreats, s.v. “Mary, the Mother of Jesus.”

Elizabeth Clare Prophet, Mary’s Message of Divine Love, Introduction.

  1. क्ट्स १:१४
  2. मदर मेरी, "टू प्रिक द कांशसनेस ऑफ़ द नेशंस," Pearls of Wisdom, vol. २७, no. ४८, ३० सितंबर, १९८४.
  3. मदर मेरी २४ फरवरी, १९८०.
  4. मदर मैरी, "द कंटीन्यूटी ऑफ़ बीइंग," Pearls of Wisdom, vol. २७, no. ६३, ३० दिसंबर, १९८४.
  5. फ्रांसिस जॉनस्टन, फातिमा: द ग्रेट साइन (वाशिंगटन, एन.जे.: एएमआई प्रेस, १९८०), पृष्ठ १३९.
  6. Template:ऍमऍमएन, पृष्ठ २५८, २६०.
  7. मदर मेरी, “बीहोल्ड द हैंडमेड [शक्ति]!” ३१ दिसंबर, १९७७.
  8. “But whoso shall offend one of these little ones which believe in me, it were better for him that a millstone were hanged about his neck, and that he were drowned in the depth of the sea” (Matt. 18:6).
  9. Mother Mary, “The Right Arm of the Mother,” January 28, 1979.