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Mary, the mother of Jesus/hi: Difference between revisions

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(Created page with "मदर मेरी मानव जाति की महान शिक्षिकाओं में से एक हैं। वह हमें निष्कलंक संकल्पना के विज्ञान में शिक्षा देती हैं, शुद्ध अवधारणा अर्थात ईश्वर के मन में जीवात्मा की जो शु...")
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मदर मेरी मानव जाति की महान शिक्षिकाओं में से एक हैं। वह हमें [[Special:MyLanguage/immaculate concept|निष्कलंक संकल्पना]] के विज्ञान में शिक्षा देती हैं, शुद्ध अवधारणा अर्थात ईश्वर के मन में जीवात्मा की जो शुद्ध छवि है वह। निष्कलंक संकल्पना का मतलब है जीवन के एक हिस्से द्वारा जीवन के दूसरे हिस्से के लिए रखा गया एक शुद्ध विचार, यह [[Special:MyLanguage/Alchemy|रसायन शास्त्र]] के प्रत्येक प्रयोग के लिए आवश्यक है, इसके बिना कोई भी परीक्षण सफल नहीं हो सकता। किसी भी स्वरुप की पूर्ण छवि को बनाये रखने की क्षमता, अपने मन में किसी भी कार्य की पूर्णता को देखना, अपने मस्तिष्क में उसका चित्र बनाना, उसे कायम रखना और उसे स्नेह, आनंद एवं रौशनी से भरना - यही सब मदर मेरी और सेंट जर्मेन हमें सिखाते हैं।
मदर मेरी मानव जाति की महान शिक्षिकाओं में से एक हैं। वह हमें [[Special:MyLanguage/immaculate concept|निष्कलंक संकल्पना]] के विज्ञान में शिक्षा देती हैं, शुद्ध अवधारणा अर्थात ईश्वर के मन में जीवात्मा की जो शुद्ध छवि है वह। निष्कलंक संकल्पना का मतलब है जीवन के एक हिस्से द्वारा जीवन के दूसरे हिस्से के लिए रखा गया एक शुद्ध विचार, यह [[Special:MyLanguage/Alchemy|रसायन शास्त्र]] के प्रत्येक प्रयोग के लिए आवश्यक है, इसके बिना कोई भी परीक्षण सफल नहीं हो सकता। किसी भी स्वरुप की पूर्ण छवि को बनाये रखने की क्षमता, अपने मन में किसी भी कार्य की पूर्णता को देखना, अपने मस्तिष्क में उसका चित्र बनाना, उसे कायम रखना और उसे स्नेह, आनंद एवं रौशनी से भरना - यही सब मदर मेरी और सेंट जर्मेन हमें सिखाते हैं।


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ईश्वर शुद्ध संकल्पना के विज्ञान का सर्वोच्च अभ्यासी है। चाहे मनुष्य अपने असलो व्यक्तित्व से कितना भी दूर चला जाए, ईश्वर हमेशा मनुष्य को उसी रूप में देखता है जिसमें उसने उसे बनाया है। शुद्ध संकल्पना का अभ्यास स्वर्ग के हर देवदूत द्वारा किया जाता है। अंतर्मन में हर मनुष्य यह बात जानता है,अपने दिल की गहराइयों में वह इस बात से अभिज्ञ है परन्तु बाह्य मस्तिष्क में इसकी स्मृति धुंधली सी है। यह संकल्पना एक परिपूर्ण विचार की कल्पना पर आधारित है जो एक चुंबक बन कर मन की कल्पना को पूरा करने के लिए पवित्र आत्मा की रचनात्मक ऊर्जा को अपनी ओर आकर्षित करता है।
God is the supreme practitioner of the science of the immaculate concept. No matter how far man might wander from his individuality, God ever beholds man in the image of Reality in which he created him. This science of the immaculate concept is practiced by every angel in heaven. It is that law that is written in the inward parts of man, known by his very heart of hearts, yet dim in the memory of his outer mind. It is based on the visualization of a perfect idea that then becomes a magnet that attracts the creative energies of the Holy Spirit to his being to fulfill the pattern held in mind.
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[[File:ConvallariaMajalis.jpg|thumb|upright|<span lang="en" dir="ltr" class="mw-content-ltr">Lily of the valley</span>]]
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