Pearls of Wisdom/hi: Difference between revisions
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पर्ल्स ऑफ़ विजडम एक साप्ताहिक निर्देश पत्र हैं जो दिव्यगुरू अपने सन्देश वाहकों मार्क और एलिजाबेथ प्रोफेट को लिखवाते हैं। ये पत्र सम्पूर्ण विश्व में आध्यात्मिक पथ पर चलने वाले दिव्यगुरूओं के शिष्यों के लिए हैं।
ग्रेट व्हाइट ब्रदरहुड की दार्जिलिंग परिषद ने श्रुतलेख के माध्यम से अपनी शिक्षाओं के बारे में दोनों संदेशवाहकों, मार्क और एलिजाबेथ प्रोफेट, को बताया है। १९५८ से शुरू हुए ये श्रुतलेख एक गुरु और उसके चेले के बीच अंतरंग संपर्क, दिल से दिल तक का संबंध हैं। इनमें ब्रह्मांडीय कानून की मौलिक और उन्नत दोनों ही तरह की शिक्षाएँ शामिल हैं, तथा इनमें ये भी बताया गया है कि मनुष्य किस प्रकार इन शिक्षाओं का उपयोग अपने व्यक्तिगत जीवन की मुश्किलों एवं ग्रह संबंधी समस्याओं को सुलझाने के लिए कर सकता है।
How to read the Pearls
Pearls of Wisdom are intended to be read daily for the seven days of the week in which they are received. As you assimilate this ‘Body’ and ‘Blood’ of the Universal Christ of the Great White Brotherhood, you become that portion of your own Higher Consciousness which is captured in the teachings of the ascended masters for that week. And it is the assimilated Word and Work of the Lord, your daily bread and Holy Communion, which is the nucleus for God-Self mastery culminating in the ascension in the Light at the conclusion of a fruitful life lived to the glory of God in service to all.
The ascension is the assimilation of the soul unto the universal Light. Each Pearl of Wisdom truly assimilated by the devotee is a stepping-stone in this lifetime of pyramid building by the lively stones. May you devour the living Word and enjoy the bliss of becoming Whole! And may the Lord’s Work through you bless and heal many souls!
Sources
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Saint Germain On Alchemy: Formulas for Self-Transformation.
Archangel Gabriel, Mysteries of the Holy Grail.
Pearls of Wisdom, vol. 32, no. 1, January 1, 1989.