Sacred fire/hi: Difference between revisions

From TSL Encyclopedia
No edit summary
(Created page with "पवित्र अग्नि जीवात्माओं के शुद्धिकरण, आद्यवैज्ञानिक प्रक्रिया, रूपांतरण तथा आध्यात्मिक उत्थान के लिए आत्मा का अवक्षेपण करती है...")
Line 2: Line 2:
[[Special:MyLanguage/Kundalini|कुंडलिनी]] अग्नि रीढ़ की हड्डी के अंतिम भाग में स्थित [[Special:MyLanguage/base-of-the-spine chakra|मूलाधार चक्र]] में एक कुंडलित सर्प के रूप में रहती है। जब कोई व्यक्ति आध्यात्मिक रूप से शुद्ध हो स्वयं पर नियंत्रण प्राप्त कर लेता है तो यह अग्नि सर्पिल रूप से [[Special:MyLanguage/crown chakra|सहस्रार चक्र]] की ओर ऊपर उठती है। यह मार्ग में आने वाले सभी आध्यात्मिक केंद्रों (चक्रों) को सक्रिय करती जाती है। ईश्वर, प्रकाश, जीवन, ऊर्जा, [[Special:MyLanguage/I AM THAT I AM|ईश्वरीय स्वरूप]]। "हमारा ईश्वर सब कुछ भस्म करने वाली अग्नि है।"<ref>हेब १२:२९.</ref>  
[[Special:MyLanguage/Kundalini|कुंडलिनी]] अग्नि रीढ़ की हड्डी के अंतिम भाग में स्थित [[Special:MyLanguage/base-of-the-spine chakra|मूलाधार चक्र]] में एक कुंडलित सर्प के रूप में रहती है। जब कोई व्यक्ति आध्यात्मिक रूप से शुद्ध हो स्वयं पर नियंत्रण प्राप्त कर लेता है तो यह अग्नि सर्पिल रूप से [[Special:MyLanguage/crown chakra|सहस्रार चक्र]] की ओर ऊपर उठती है। यह मार्ग में आने वाले सभी आध्यात्मिक केंद्रों (चक्रों) को सक्रिय करती जाती है। ईश्वर, प्रकाश, जीवन, ऊर्जा, [[Special:MyLanguage/I AM THAT I AM|ईश्वरीय स्वरूप]]। "हमारा ईश्वर सब कुछ भस्म करने वाली अग्नि है।"<ref>हेब १२:२९.</ref>  


The sacred fire is the precipitation of the [[Holy Ghost]] for the baptism of souls, for purification, for [[alchemy]] and [[transmutation]], and for the realization of the [[ascension]], the sacred ritual of the return to the One.
पवित्र अग्नि जीवात्माओं के शुद्धिकरण, [[Special:MyLanguage/alchemy|आद्यवैज्ञानिक प्रक्रिया]], [[Special:MyLanguage/transmutation|रूपांतरण]] तथा [[Special:MyLanguage/ascension|आध्यात्मिक उत्थान]] के लिए [[Special:MyLanguage/Holy Ghost|आत्मा]] का अवक्षेपण करती है। यह जावात्मा द्वारा परम पिता परमात्मा की ओर लौटने के एक पवित्र अनुष्ठान है।


== Sources ==
== Sources ==

Revision as of 15:58, 6 October 2025

कुंडलिनी अग्नि रीढ़ की हड्डी के अंतिम भाग में स्थित मूलाधार चक्र में एक कुंडलित सर्प के रूप में रहती है। जब कोई व्यक्ति आध्यात्मिक रूप से शुद्ध हो स्वयं पर नियंत्रण प्राप्त कर लेता है तो यह अग्नि सर्पिल रूप से सहस्रार चक्र की ओर ऊपर उठती है। यह मार्ग में आने वाले सभी आध्यात्मिक केंद्रों (चक्रों) को सक्रिय करती जाती है। ईश्वर, प्रकाश, जीवन, ऊर्जा, ईश्वरीय स्वरूप। "हमारा ईश्वर सब कुछ भस्म करने वाली अग्नि है।"[1]

पवित्र अग्नि जीवात्माओं के शुद्धिकरण, आद्यवैज्ञानिक प्रक्रिया, रूपांतरण तथा आध्यात्मिक उत्थान के लिए आत्मा का अवक्षेपण करती है। यह जावात्मा द्वारा परम पिता परमात्मा की ओर लौटने के एक पवित्र अनुष्ठान है।

Sources

Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Saint Germain On Alchemy: Formulas for Self-Transformation.

  1. हेब १२:२९.