प्रतीकों की गुफा (Cave of Symbols)
प्रतीकों की गुफा संत जर्मेन का आश्रयस्थल है। यह स्थान अमरीका के रॉकी माउंटेन्स स्थित टेबल माउंटेन में है। यह एक मह्त्वपूर्ण केंद्र है और यहाँ से कई आविष्कार प्रकाशित होंगे। इस स्थान के साथ साथ संत जर्मेन दो अन्य आश्य्रा स्थलों का प्रयोग करते है। वे हैं: ट्रांसिल्वेनिया की राकोज़ी हवेली और रॉयल टेटन रिट्रीट की प्रकाश की गुफा।
विवरण
आप एक बहुत बड़ी गुफा से होते हुए एक पहाड़ के अंदर प्रवेश करते हैं - पहाड़ गुलाबी और सफेद पत्थरों से सजा हुआ है - और दो सौ फीट चौड़े एक गुंबदाकार कक्ष में पहुँचते हैं। यह कक्ष सतरंगी स्टैलेक्टाइट्स से ढका हुआ है। इन सतरंगी स्टैलेक्टाइट्स की बनावट किन्ही गुप्त चिन्हों के जैसी है। ये गुप्त चिन्ह ईश्वर की इंद्रधनुषी किरणों एवं फ़ोहट की रिहाई की ज्यामितीय कुंजियाँ है तथा इनसे निकलने वाली ऊर्जा पूरे अमरीका में फैली है और यहां के लोगों पर अत्यंत महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है जो उनकी चेतना में स्वर्ण युग और खोई हुई विरासत की याद डालती है। गुफा का नाम इन्हीं प्रतीकों के आधार पर पड़ा है।
सामने की दीवार पर, इस कक्ष के दुसरे छोर पर तीन मेहराब हैं, जो एक-दुसरे से बीस फीट की दूरी पर हैं: पहला गहरे गुलाबी रंग का है, दूसरा मर्मज्ञ सफेद और तीसरा कोबाल्ट नीला। ये महान ब्रह्मांडीय प्राणियों के केंद्र हैं जो अमेरिका में आत्मिक चेतना की जीत के लिए कार्यरत हैं।
संत जर्मेन के साथ चलते हुए हम बीच के मेहराब से होते हुए एक सुरंग में प्रवेश करते हैं - यह सुरंग उसके आदेश पर ही खुलती है। कई सौ फुट चलने के बाद, वे हमें एक दरवाजे से साठ फुट व्यास वाले बारह भुजाओं के एक गुम्बदाकार कमरे में ले जाते हैं जिस पर बहुत सारे प्राचीन चिन्ह हैं। बारह में से चार भुजाएं चमकदार श्वेत रंग की हैं (यह पृथ्वी के चार तत्वों और इस ग्रह के चार निचले शरीरों की आत्मिक चेतना को दर्शाती हैं)। शेष भुजाएं हल्के रंगों की हैं।
इस कमरे में एक बहुत विलक्षण रेडियो रखा है जिसका आविष्कार महिला दिव्यगुरु लिओनोरा ने किया था। इस रेडियो द्वारा आप इस पृथ्वी में कहीं पर भी, किसी से भी सम्पर्क स्थापित कर सकते हैं; इस रेडियो से आप सौर परिवार के अन्य ग्रहों से भी संपर्क कर सकते हैं। यहाँ पर रासायनिक और विद्युत् प्रयोगशालाएं हैं जहाँ विभिन्न वैज्ञानिक फ़ार्मुलों और आविष्कारों को परिष्कृत करते हैं - ये फ़ार्मुला और आविष्कार अटलांटिक महासागर के निचले भाग में सील-बंद शहरों में रखे गए है। अटलांटिस के डूबने के बाद से इन्हे यहाँ सुरक्षित कर के रखा गया है, पर वैज्ञानिकों को ये लेने की अनुमति है। इन सभी आविष्कारों को स्वर्ण युग में मानव जाति के प्रयोग हेतु सामने लाया जाएगा - जब मनुष्य लालच, स्वार्थ, युद्ध और गलत वित्तीय नीतियों के माध्यम से दूसरों को नियंत्रित करने की इच्छा का त्याग करेगा।
जब दुनिया के राष्ट्रों पर सज्जन पुरुषों का नियंत्रण होगा तो दिव्यगुरु सदियों से संरक्षित की गयी जानकारी के इस विशाल भंडार को पृथ्वी के लिए उपलब्ध कराएंगे। सभी जानकारी दिव्यगुरूओं के आश्रयस्थलों पर रखी गयी है जहाँ वैज्ञानिक अपने सूक्ष्म शरीरों में आते हैं। प्रकाश के छात्र भी वहां जाने के लिए अनुरोध कर सकते हैं। यहाँ पर संत जर्मेन आध्यात्मिक चेतना के प्रति समर्पित जीवात्माओं के एक बड़े समूह को प्रशिक्षित कर रहे हैं। जो ज्ञान ये यहाँ अर्जित करेंगे उचित समय आने पर उसे वे मानवजाति की सहायता-हेतु बाहरी चेतना में उतार देंगे।
आणविक त्वरक
► मुख्य लेख: असेनशन चेयर
एक सुनहरी कुर्सी है जिसे "परमाणु त्वरक" भी कहा जाता है। इसके माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक धाराएं पारित की जाती हैं जो चार निचले शरीरों के भीतर अणुओं और इलेक्ट्रॉनों की कंपन क्रिया को तेज करती हैं। ब्रदरहुड के वे दीक्षार्थी जिन्होंने सेवा और प्रकाश के प्रति समर्पण से अपनी योग्यता सिद्ध की है और जो काफी मात्रा में अपने कर्मों को संतुलित कर चुके है, वे संत जर्मेन और कर्म के देवता की आज्ञा से एक निर्धारित अवधि के लिए इस कुर्सी पर बैठ सकते हैं। चार निचले शरीरों में प्रकाश की आवृत्ति को तेज करके हम अपने कर्म का कुछ हिस्सा संतुलित कर सकते हैं।
इस प्रकार व्यक्ति के चार निचले शरीरों को उत्थान की धाराओं में त्वरित कर आत्मा का उत्थानं किया जा सकता है। संत जर्मेन की छत्रछाया में कई जीवनधाराओं का आध्यात्मिक उत्थान इसी कमरे से हुआ है।
Entering an elevator, we descend a hundred feet into the heart of the mountain, emerging in a circular room having a diameter of twenty feet. We are led through a door into a huge hall equipped with furnaces and machines for the production of materials used in the experimental work carried on in the chemical and electrical laboratories in the upper level of the retreat.
Returning to the upper level, we are shown a reception hall with a domed ceiling, adjoining sleeping quarters, and an audience hall also with a domed ceiling of sky blue with painted clouds, giving the impression of being in the open air. Here there is a magnificent organ and piano that is used by the masters to focus the harmonizing currents of the music of the spheres on behalf of the freedom of sons and daughters of God on earth.
The Cosmic Mirror
► Main article: Cosmic Mirror
The Cosmic Mirror is on the east wall of the Crystal Chamber. When the disciple has reached a certain degree of attainment, he is taken by the master before the Cosmic Mirror, which keys into his etheric body and reflects his past lives, including the cause and effect upon his world of every thought, feeling, word and deed he has ever manifested. The Cosmic Mirror also reflects the original blueprint of his divine plan that is placed upon the etheric body when the soul is born in the heart of God. In viewing his past lives, the disciple then may learn what portion of the divine plan he has outpictured. He may see what conditions in his world must be corrected and what good momentums he has developed that he can now use to overcome the difficulties of the past and the present and thus fulfill his divine plan in the very near future.
The Sphere of Light
At the far end of the audience hall, through a concealed door, one enters the Sphere of Light, a spherical-shaped room where the focus of the sacred fire is used to intensify the expansion of the light within those who are permitted to enter there. The function of this room correlates with the action of the light in the Cave of Light in the charge of the Great Divine Director in India. Together with the Atomic Accelerator, these focuses serve to bring the disciples of the masters closer to their ascension and to provide them with the assistance to accelerate the process that could not be achieved in the outer world.
Attending the retreat
It is a very real and enlivening experience to stand before the Cosmic Mirror in this retreat. The disciple needs to be ready to look through the illusions, the fantasies and the synthetic self. He must be able to own up to the deceits that the ego continually practices against itself. It is not possible to hide anything from God. The sincere student who would like to get rid of these illusions may call to Saint Germain to be taken to stand before the Cosmic Mirror.
Sources
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, The Masters and Their Retreats, s.v. “Cave of Symbols.”