Translations:Christ Self/2/hi
पृथ्वी पर मनुष्यों में सार्वजानिक रूप से उच्च चेतना की जागरूकता होने के बारे में सिद्ध पुरुषों ने भविष्यवाणी की थी। उन्होंने इसे ईश्वर की नैतिकता (RIGHTEOUSNESS)[1] और शाखा[2] कहा था। जब किसी व्यक्ति की स्व चेतना आत्मा के साथ एकीकार हो जाती है तो उसे चैतन्य व्यक्ति कहा जाता है, वह मनुष्य पुत्र ईश्वर के पुत्र के समान देदीप्यमान हो जाता है।