कारण शरीर (Causal body)
प्रथम कारण अध्यात्मिक शरीर स्तर पर स्तिथ है जो ईश्वरीय स्वरूप (I AM Presence) के चारों ओर प्रकाश और उच्च चेतना के सात संकेंद्रित गोला आकर (concentric spheres) द्वारा जिनकी गति शक्ति (momentums), पिछले सभी जन्मों में जीवात्मा (soul) द्वारा किए गए अच्छे कार्यों और बोले गए अच्छे शब्दों पर निर्भर करती है। कोई भी व्यक्ति अपनी आत्मा (Christ Self) से एकीकरण करके दिव्य आदेशों (decrees) के आह्वाहन द्वारा कारण शरीर से आध्यात्मिक संसाधन (spiritual resources) और सृजनात्मकता - प्रतिभा (creativity—talents), तौर-तरीका (graces), उपहार (gifts) और मेधा (understanding) - प्राप्त कर सकता है। यह सब गुण पृथ्वी पर मनुष्य द्वारा किये गए अच्छे कार्यों से एकत्रित होते हैं।
कारण शरीर वह स्थान है जहाँ हम "स्वर्ग में खज़ाना जमा करते हैं"[1]—यह हमारी सच्ची पहचान की प्रत्येक अच्छी और उत्तम वस्तु का भंडारगृह है। इसके अलावा, कारण शरीर की गोला आकार आकृतियों (spheres) में ईश्वर का निवास-स्थान हैं जिनके बारे में ईसा मसीह ने कहा था, "मेरे पिता के घर में बहुत कई भवन हैं.... वहाँ मैं आपके लिए एक स्थान तैयार करने जाता हूँ.... मैं आपको लेने दोबारा आऊंगा, जहाँ मैं [अपने ईश्वरीय स्वरुप में अपनी काया के साथ] हो सकता हूँ, वहां आप भी हो सकते हैं।[2]
कारण शरीर के महान क्षेत्र परमप्रधान ईश्वर का निवास स्थान हैं, जिसका उल्लेख यीशु ने किया था जब उन्होंने कहा था, "मेरे पिता के घर में कई भवन हैं.... मैं इसके लिए जगह तैयार करने जाता हूं तुम.... मैं फिर आऊंगा और तुम्हें अपने पास ले लूंगा; कि जहाँ मैं हूँ [जहाँ मैं, देहधारी मसीह, मेरी उपस्थिति में हूँ], वहाँ तुम भी हो।"[3]
कारण शरीर आत्मा के ईश्वरीय स्वरुप (I AM THAT I AM) का निवासस्थान है, एक प्रकार से यह एक बांग्ला है जहाँ जीवात्मा आध्यात्मिक उत्थान (आध्यात्मिक उत्थान) होने के बाद वापिस रहने आती है। कारण शरीर मानो एक तारा है जो प्रत्येक मनुष्य में ईश्वरीय लौ का वैयक्तिकरण है जिसके बारे में संत पॉल ने कहा था, "एक तारे की महिमा दूसरे से भिन्न है"। ईश्वर ज्वाला के प्रत्येक मनुष्य के वैयक्तिकरण के तारे के रूप में कारण शरीर का उल्लेख संत पॉल (Saint Paul) ने किया था, जब उन्होंने कहा था, "एक तारे की महिमा में दूसरे तारे से भिन्न होती है।[4]
इसे भी देखिये
स्रोत
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Saint Germain On Alchemy: Formulas for Self-Transformation.