आत्मिक चेतना
आत्मा में और उसके रूप में स्वयं की ईश्वरीय चेतना या जागरूकता; मनुष्य का आत्मिक चेतना के उस स्तर पर पहुँचना जहाँ ईसा मसीह पहुँचे थे। जीवात्मा जिस आत्मिक चेतना की अनुभूति अपने मन में करती है - वही अनुभूति ईसा मसीह को हुई थी। [1] यह वह उपलब्धि है जो शक्ति, विवेक और प्रेम - पिता (father), पुत्र (son) और पवित्र आत्मा (holy spirit) - इन तीनो के संतुलित होने पर किये गए कार्यों से प्राप्त होती है; साथ ही यह हृदय के भीतर संतुलित त्रिज्योति लौ (threefold flame) के माध्यम से माता की पवित्रता की प्राप्ति भी है। यह ईश्वर की इच्छा को पूरा करने की आकांक्षा में पूर्ण विश्वास है, यह स्वयं की मुक्ति की आशा भी है जो हम ईश्वर द्वारा दिखाए गए धार्मिक मार्ग पर चलते हुए करते हैं, यह वह उत्कृष्ट दान है जो प्रभुमय होकर हम देते और लेते हैं।
इसे भी देखिये
ब्रह्मांडीय चेतना (Cosmic consciousness)
ईश्वरीय चेतना (God consciousness)
सामूहिक चेतना (Mass consciousness)
मानवी चेतना (Human consciousness)
स्रोत
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Saint Germain On Alchemy: Formulas for Self-Transformation.
- ↑ Phil. 2:5.