मन की दहलीज़ पर स्तिथ कृत्रिम रूप
आत्म-विरोधी, कृत्रिम रूप, उच्च चेतना (वास्तविक रूप) का विरोधी, स्वच्छन्द इच्छा (free will) के अत्यधिक दुरूपयोग से उत्पन्न अहंकार जो ईश्वर विरोधी दिमाग (carnal mind) में अयोग्य ऊर्जा के बलक्षेत्रों का समूह है, अवचेतन मन (subconscious mind) से उत्पन्न पाशविक आकर्षण शक्ति (animal magnetism) आदि को नामित (designate) करने के लिए अवचेतन मन की दहलीज़ पर स्तिथ कृत्रिम रूप शब्द का प्रयोग किया जाता है। यह जीवात्मा का आत्मा से पुनर्मिलन का विरोधी इसलिए है क्योंकि अवचेतन मन की दहलीज़ पर स्तिथ कृत्रिम रूप से मनुष्य का सम्पर्क उसके भावनात्मक शरीर (desire body) या सूक्ष्म शरीर और मणिपुर चक्र (solar-plexus chakra) के माध्यम से होता है।
इसलिए यह 'अवचेतन मन की दहलीज़ पर स्तिथ कृत्रिम रूप' ऊर्जा के भंवर का केंद्र है जिससे" इलेक्ट्रॉनिक बेल्ट (electronic belt)" बनती है - जिसका आकार नगाड़े (kettledrum) जैसा होता है और यह चार निचले शरीरों को कमर से लेकर नीचे तक घेरे रहता है। कृत्रिम रूप का सर्प जैसा सिर कभी-कभी अचेतन मन (unconscious) के काले तालाब से निकलता हुआ दिखाई देता है। इस इलेक्ट्रॉनिक बेल्ट में मनुष्य के नकारात्मक कर्मो के कारण, प्रभाव, अभिलेख और स्मृतियाँ शामिल होती हैं। सकारात्मक कर्म - जो दिव्य चेतना के माध्यम से बनाये जाते हैं - कारण शरीर (causal body) में पंजीकृत (registers) होते हैं और प्रत्येक व्यक्ति के अपने ईश्वरीय स्वरुप (I AM Presence) के आसपास इलेक्ट्रॉनिक अग्नि-चक्रों में सील कर दिए जाते हैं।
ग्रह की दहलीज पर रहनेवाले दुष्ट को आत्मिक चेतना के शत्रु की ताकतों में व्यक्त किया गया है।
दहलीज़ पर रहनेवाले दुष्ट का सामना
दहलीज़ पर रहनेवाला दुष्ट के सर्प के सामान है और जब आत्मा की उपस्थिति से मनुष्य का यह सोया हुआ सर्प जाग जाता है, तो जीवात्मा को अपंने ईश्वरीय स्वरुप को पहचानते हुईं, उसकी शक्ति से आत्मिक चेतना के इस शत्रु का हनन करने का निर्णय लेना चाहिए और अपने वास्तविक स्वरुप की रक्षा करनी चाहिए। ऐसा तब तक करना चाहिए जब तक जीवात्मा पूरी तरह से आत्मा के साथ विलीन नहीं हो जाती। आत्मा ही वास्तव में ईश्वर है, न्याय-परायण ईश्वर जो दीक्षा के मार्ग पर अग्रसर हर जीव का सच्चा स्वरुप है।
'देहलीज़ पर रहनेवाला दुष्ट' जीवात्मा की चेतन जागरूकता की दहलीज पर रहता है जहां से वह आत्म-स्वीकृत स्वार्थ के 'वैध' क्षेत्र में प्रवेश पाने के लिए दस्तक देता है। प्रवेश पाने पर यह घर (मनुष्य) का मालिक बन जाता है। इसलिए आपको सिर्फ आत्मा की आवाज़ सुननी है और आत्मा को ही प्रवेश करने के लिए कहना है। आत्मा के मार्ग पर चलते समय सबसे गंभीर चुन्नौती गैर-स्वयं के साथ टकराव है। यदि जीवात्मा इसे नहीं मारती, तो यह गैर-स्वयं जीवात्मा को मार देता है, क्योंकि गैर-स्वयं प्रकाश के प्रति घृणा रखता है।
आवश्यक बात यह है कि शिक्षक और गुरु सनत कुमार दीक्षा के मार्ग पर चल रहे प्रत्येक मानव के लिए भौतिक और आध्यात्मिक स्तर पर संतुलन बनाये रखें ताकि मानव " दहलीज़ पर रहनेवाले दुष्ट' का सामना कर पाएं। ये बात मैत्रेय के सन्देश वाहक में शारीरिक रूप से दिखाती भी है।
अध्यात्मविद्या में कहा है
द थियोसोफिकल ग्लोसरी (The Theosophical Glossary) में, हेलेना पी. ब्लावात्स्की दहलीज पर रहने वाले दुष्ट को ज़ानोनी (Zanoni) कहकर परिभाषित करते हैं। इस शब्द का आविष्कार बुल्वर लिटन ने किया था। 'दहलीज पर रहने वाला दुष्ट' एक तांत्रिक शब्द है जिसका उपयोग छात्रों द्वारा मृत व्यक्तियों के कुछ अशुभ सूक्ष्म जोड़ों के सन्दर्भ में एक लम्बे समय से किया जाता रहा है। सूक्ष्म जोड़े का तात्पर्य "इंसान या जानवर के आकाशीय समकक्ष या परछाईं से है।
For more information
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, The Enemy Within
स्रोत
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Saint Germain On Alchemy: Formulas for Self-Transformation
Pearls of Wisdom, vol. २६, no. ६, ६ फरवरी १९८३.