Translations:Antahkarana/11/hi
तो आप इस बात को अच्छी तरह से समझ लीजिये कि सन्देशवाहक (Messenger) और दिव्य वाणी (dictation) का लक्ष्य एक ही उद्देश्य वाली जीवात्माओं को प्रकाश के महान जाल से अंतःकरण के द्वारा एकीकरण करना है। इस प्रकार की क्रिया से 'अंतःकरण कम्पन के द्वारा वे जीवात्माएं एक कदम ऊपर उठ जाती हैं। तब आप निचले तत्वों को पार करने में सक्षम हो जाते हैं, तब आप स्वयं को जीवन के नए स्तरों की ओर बढ़ते हुए पाते हैं। अंतःकरण की यह कम्पन क्रिया एक उच्च ध्वनि को उत्प्पन करती है और आप उच्च ध्वनि के साथ तालमेल करते हुए आगे बढ़ जाते हैं। यही जीवन का एक गूढ़ रहस्य है - हालाँकि आप मनुष्यता के स्तर पर इस क्रिया को सामने में असमर्थ हैं परन्तु सच यह है कि आप सदा हमारे साथ हैं, “हर जगह ईश्वरीय की चेतना में हमारे साथ हैं”[1]
- ↑ रत्नासंभावा, “Elements of Being,” Pearls of Wisdom, vol. 37, no. 6, ६ फरवरी १९९४ .