दिव्य आदेश (Decree)

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संज्ञा एक पूर्व-निर्धारित इच्छा, एक फरमान या आदेश, आधिकारिक निर्णय, घोषणा, एक कानून, व्यवस्था या धार्मिक नियम, एक आज्ञा या धर्मादेश

 
निम्नलिखित लेखों की श्रृंखला का हिस्सा
उच्चारित शब्द
का विज्ञान



   मुख्य लेख   
उच्चारित शब्द



   उच्चारित शब्द के प्रकार   
अभिपुष्टि
पुकार
मंत्र
डिक्री
आदेश
आह्वान
मंत्र
प्रार्थना



   पूर्वी शैली   
भजन
बीज मंत्र
स्वर्ण मंत्र
ॐ मणि पद्मे हम



   पश्चिमी शैली   
मेरी की जय हो
जपमाला



   विशिष्ट अनुष्ठान   
मदर मेरी का प्रकाश चक्र
चौदहवीं जपमाला
महादेवदूत माइकल की जपमाला
पुनरुत्थान की लौ का अनुष्ठान
कुआन यिन की क्रिस्टल जपमाला



   सम्बंधित प्रसंग   
वायलेट लौ
वायलेट लौ डिक्री
वायलेट लौ के संतुलन और नीली लौ की डिक्री
प्राणायाम
दज्वल कुल का श्वसन व्यायाम
 

क्रिया निर्णय लेना, घोषणा करना, निश्चित करना या आज्ञा देना, निश्चय करना, आदेश देना या निषेध करना, ईश्वर की उपस्थिति का आह्वान करना, ईश्वर के प्रकाश/ऊर्जा/चेतना, उसकी शक्ति और संरक्षण, पवित्रता और उत्तमता का आह्वाहन करना

परिभाषा

बुक ऑफ जॉब (Book of Job) में लिखा है, "जब तुम किसी बात के लिए डिक्री करोगे तो वह तुम्हारे लिए स्थापित कर दी जायेगी; और तुम्हारा मार्ग प्रकाशित हो जाएगा।" [1] ईश्वरत्व की सभी प्रार्थनाओं में डिक्री सबसे शक्तिशाली है। इसके बारे में आईज़ेयाह ने "कमांड ये मी (Command ye me)" (४५:११) में लिखा है, यही प्रकाश का वास्तविक आदेश है जो, "लक्स फिएट" के रूप में, भगवान के बेटों और बेटियों का जन्मसिद्ध अधिकार है। यह परमेश्वर का आधिकारिक शब्द है जो मनुष्य के ईश्वरीय स्वरुप और आत्मा के नाम से बोला गया है ताकि परमेश्वर की इच्छा और चेतना के माध्यम से पृथ्वी पर रचनात्मक परिवर्तन लाया जा सके और पृथ्वी पर सब कुछ वैसा हो जाए जैसा कि स्वर्ग में है।

ऊर्जस्वी डिक्री न्याय परायण लोगों की एक अमोघ एवं जोशीली प्रार्थना है जो वे ईश्वर के समक्ष प्रस्तुत करते हैं। यह उच्चारित शब्द के विज्ञान पर आधारित है और बहुत कुछ उपलब्ध करा सकती है।[2] ऊर्जस्वी डिक्री वह साधन है जिसके द्वारा प्रार्थनाकर्ता ईश्वर के वचन को पहचानता है - तब वह सृष्टिकर्ता की मूल आज्ञा "अब यहाँ प्रकाश हो: और वह जगह प्रकाशित हो गई” को भी समझ पाता है।[3]

मन में विश्वास और आशा रखकर, प्रेम और आनंद के साथ बोली गई ऊर्जस्वी डिक्री से प्रार्थनाकर्ता ईश्वर के वचनो को रोपित करता है और साथ ही पवित्र आत्मा की पवित्र अग्नि के द्वारा कर्मो के रूपांतरण का अनुभव करता है।[4] इससे उसके सारे दुष्कर्म, रोग और मृत्यु पवित्र अग्नि में भस्म हो जाते हैं और न्याय परायण जीवात्मा संरक्षित रहती है।

डिक्री व्यक्तिगत रूपांतरण, आत्म-पारगमन और ग्रहों के परिवर्तन के लिए रसायन शास्त्रियों का उपकरण भी है और तकनीक भी।

डिक्री के भाग

डिक्री छोटी या लंबी हो सकती है और आमतौर पर प्रत्येक डिक्री में एक औपचारिक प्रस्तावना और समापन दोनों चीज़ें होती है। सेंट जर्मेन इन भागों के उद्देश्यों की व्याख्या करते हुए कहते हैं:

साधारणतया डिक्री के तीन भाग होते हैं, हर एक भाग को ईश्वर को लिखे हुए पत्र के समान समझिये:

(१) डिक्री का अभिवादन आह्वानात्मक है। यह ईश्वर के प्रत्येक पुत्र और पुत्री की व्यक्तिगत ईश्वरीय स्वरूप और यह ईश्वर के उन सेवकों को संबोधित करता है जो आध्यात्मिक पदक्रम में शामिल हैं। यह अभिवादन (डिक्री की प्रस्तावना), जब आदरपूर्वक दिया जाता है, तो एक आह्वान होता है जो दिव्यगुरूओं को उत्तर देने के लिए बाध्य करता है। जिस तरह आपके अग्निशमन अधिकारी आपकी पुकार को अनसुना नहीं कर सकते उसी तरह हम भी आपकी पुकार का उत्तर देने से इंकार नहीं कर सकते। जब आप बहुत प्रेम के साथ, अकेले में या फिर अपने साथियों सहित, ईश्वर का अभिवादन करते है तो आपकी डिक्री का उत्तर देने के लिए दिव्यगुरु अपनी ऊर्जा संलग्न करने को बाध्य हो जाते हैं।

(२) डिक्री के मुख्य भाग के शब्द आपकी इच्छाओं, और उन योग्यताओं को व्यक्त करते है जिन्हें आप स्वयं के लिए या अपने प्रियजनों के लिए चाहते हैं - ये प्रार्थनाएँ आपकी सामान्य प्रार्थनाओं में भी शामिल होती हैं। अपनी बाह्य चेतना, अवचेतन मन और उच्च स्व के माध्यम से बोले गए शब्द की शक्ति को जारी करने के बाद, आप निश्चिंत हो सकते हैं कि जिन दिव्यगुरुओं का आह्वान आपने किया है उनकी सर्वोच्च चेतना भी उस मांग की अभिव्यक्ति करने के लिए चिन्ताशील है।

(३) अब आप डिक्री के अंतिम भाग, उसके समापन पर आ गए हैं, ईश्वर के हृदय में अपने पत्र को मोहर लगाने वाले हैं और जो प्रार्थना आपने आत्मा के दायरे में प्रतिबद्धता की भावना के साथ करी है उसके लिए ईश्वर की स्वीकृति प्राप्त करने वाले हैं तो ईश्वर के अचूक नियमो के अनुसार आपने जो चाहा है उसे अभिव्यक्ति होना ही होगा।

जो लोग गणित में वर्ग की शक्ति को समझते हैं, वे जानते होंगे कि जब बहुत सारे व्यक्ति एक साथ ईश्वर की ऊर्जा का आह्वान करते हैं, तो केवल एक+एक+एक करके लोगों की संख्या के आधार पर यह शक्ति नहीं जोड़ी जाती बल्कि एक बहुत पुराने नियम के अनुसार इस संख्या का वर्ग निकाला जाता है। डिक्री देने वाले व्यक्तियों की संख्या को जितनी बार डिक्री दी जाती है उससे गुणा किया जाता है और फिर उस अंक का वर्ग निकाला जाता है।[5]

इसे भी देखिये

उच्चारित शब्द

अधिक जानकारी के लिए

Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, The Science of the Spoken Word

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Prayers, Meditations and Dynamic Decrees for Personal and World Transformation.

मार्क एल. प्रोफेट और एलिजाबेथ क्लेयर प्रोफेट की किताब द साइंस ऑफ द स्पोकन वर्ड: व्हाई एंड हाउ टू डिक्री इफेक्टिवली (The Science of the Spoken Word: Why and How to Decree Effectively) (ऑडियो एल्बम)

स्रोत

Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, The Science of the Spoken Word, पांचवा अध्याय.

  1. Job 22:28.
  2. James ५:१६.
  3. Gen. १:३.
  4. I Cor. 3:13–15; I Pet. 1:7.
  5. Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, The Science of the Spoken Word, chapter 5.