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तो आप इस बात को अच्छी तरह समझ लीजिये कि [[Special:MyLanguage/Messenger|सन्देशवाहक]] और दिव्य वाणी का लक्ष्य प्रकाश के महान जाल और एक ही उद्देश्य वाली जीवात्माओं का ''अंतःकरण'' के द्वारा एकीकरण करना है। ऐसा होने पर 'अंतःकरण'' कम्पन के | तो आप इस बात को अच्छी तरह समझ लीजिये कि [[Special:MyLanguage/Messenger|सन्देशवाहक]] और दिव्य वाणी का लक्ष्य प्रकाश के महान जाल और एक ही उद्देश्य वाली जीवात्माओं का ''अंतःकरण'' के द्वारा एकीकरण करना है। ऐसा होने पर 'अंतःकरण'' कम्पन के द्वारा जीवात्माएं एक कदम ऊपर उठ जाती है। तब आप कुछ निचले तत्वों को पार करने में सक्षम हो जाते हैं, और स्वयं को जीवन के नए स्तरों की ओर बढ़ते हुए, उच्च ध्वनि के साथ तालमेल बिठाते हुए पाते हैं। यही जीवन का एक गूढ़ रहस्य है - आप सीमाबद्ध समझते है परन्तु सच यह है कि आप सदा हमारे साथ हैं, “हर जगह ईश्वरीय चेतना के साथ हैं”<ref>रत्नसंभाव, “Elements of Being,” {{POWref|37|6|, ६ फरवरी १९९४ }}</ref> | ||
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