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मन की दहलीज़ पर स्तिथ कृत्रिम रूप सोये हुए सर्प के सामान है जो आत्मा की उपस्थिति में मनुष्य के अंदर जाग जाता है। उस समय जीवात्मा को अपने ईश्वरीय स्वरुप को पहचानने में और आत्मिक चेतना की शक्ति से इस कृत्रिम रूप का हनन (slay) करने का निर्णय और अपने वास्तविक स्वरुप का पक्ष लेना चाहिए। ऐसा तब तक करना चाहिए जब तक जीवात्मा पूरी तरह से आत्मा में विलीन नहीं हो जाती। आत्मा ही वास्तव में ईश्वर है -- [[Special:MyLanguage/THE LORD OF OUR RIGHTEOUSNESS|अहं ब्रह्माऽस्मि]] -- जो [[Special:MyLanguage/initiation|दीक्षा]] के मार्ग पर अग्रसर हर जीव का सच्चा स्वरुप है। | मन की दहलीज़ पर स्तिथ कृत्रिम रूप सोये हुए सर्प के सामान है जो आत्मा की उपस्थिति में मनुष्य के अंदर जाग जाता है। उस समय जीवात्मा को अपने ईश्वरीय स्वरुप को पहचानने में और आत्मिक चेतना की शक्ति से इस कृत्रिम रूप का हनन (slay) करने का निर्णय और अपने वास्तविक स्वरुप का पक्ष लेना चाहिए। ऐसा तब तक करना चाहिए जब तक जीवात्मा पूरी तरह से आत्मा में विलीन नहीं हो जाती। आत्मा ही वास्तव में ईश्वर है -- [[Special:MyLanguage/THE LORD OF OUR RIGHTEOUSNESS|अहं ब्रह्माऽस्मि]] -- जो [[Special:MyLanguage/initiation|दीक्षा]] के मार्ग पर अग्रसर हर जीव का सच्चा स्वरुप है। | ||
'यह कृत्रिम रूप' जीवात्मा की चेतन जागरूकता की दहलीज | 'यह कृत्रिम रूप' जीवात्मा की चेतन जागरूकता की दहलीज से वह आत्म-स्वीकृत स्वार्थ के 'वैध' क्षेत्र में प्रवेश पाने के लिए दस्तक देता है। प्रवेश पाने पर यह घर (मनुष्य) का मालिक बन जाता है। इसलिए आपको सिर्फ आत्मा की आवाज़ सुननी है और आत्मा को ही प्रवेश करने के लिए कहना है। आत्मा के मार्ग पर चलते समय सबसे गंभीर चुन्नौती गैर-स्वयं के साथ टकराव है। यदि जीवात्मा इसे नहीं मारती, तो यह गैर-स्वयं जीवात्मा को मार देता है, क्योंकि गैर-स्वयं प्रकाश के प्रति घृणा रखता है। | ||
आवश्यक बात यह है कि शिक्षक और गुरु [[Special:MyLanguage/Sanat Kumara|सनत कुमार]] दीक्षा के [[Special:MyLanguage/Path|मार्ग]] पर चल रहे प्रत्येक मानव के लिए भौतिक और आध्यात्मिक स्तर पर संतुलन बनाये रखें ताकि मानव " अवचेतन मन की दहलीज़ पर स्तिथ कृत्रिम रूप' का सामना कर पाएं। ये बात [[Special:MyLanguage/Maitreya|मैत्रेय]] के सन्देश वाहक में शारीरिक रूप से दिखाती भी है। | आवश्यक बात यह है कि शिक्षक और गुरु [[Special:MyLanguage/Sanat Kumara|सनत कुमार]] दीक्षा के [[Special:MyLanguage/Path|मार्ग]] पर चल रहे प्रत्येक मानव के लिए भौतिक और आध्यात्मिक स्तर पर संतुलन बनाये रखें ताकि मानव " अवचेतन मन की दहलीज़ पर स्तिथ कृत्रिम रूप' का सामना कर पाएं। ये बात [[Special:MyLanguage/Maitreya|मैत्रेय]] के सन्देश वाहक में शारीरिक रूप से दिखाती भी है। |
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