6,664
edits
JaspalSoni (talk | contribs) No edit summary |
JaspalSoni (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 14: | Line 14: | ||
'यह कृत्रिम रूप' जीवात्मा की चेतन जागरूकता की दहलीज से आत्म - स्वीकृत स्वार्थ के 'उचित' क्षेत्र (legitimate realm) में प्रवेश पाने के लिए दस्तक देता है। प्रवेश पाने पर यह घर (मनुष्य) का मालिक बन जाता है। इसलिए आपको सिर्फ आत्मा की आवाज़ ही सुननी है और आत्मा को ही प्रवेश करने के लिए कहना है। आत्मा के मार्ग पर चलते समय सबसे गंभीर दीक्षा कृत्रिम रूप के साथ टकराव है। यदि जीवात्मा इसका हनन नहीं करती तो यह कृत्रिम रूप जीवात्मा को ईश्वरीय प्रकाश से दूर कर देता है, क्योंकि कृत्रिम रूप ईश्वरीय प्रकाश से घृणा करता है। | 'यह कृत्रिम रूप' जीवात्मा की चेतन जागरूकता की दहलीज से आत्म - स्वीकृत स्वार्थ के 'उचित' क्षेत्र (legitimate realm) में प्रवेश पाने के लिए दस्तक देता है। प्रवेश पाने पर यह घर (मनुष्य) का मालिक बन जाता है। इसलिए आपको सिर्फ आत्मा की आवाज़ ही सुननी है और आत्मा को ही प्रवेश करने के लिए कहना है। आत्मा के मार्ग पर चलते समय सबसे गंभीर दीक्षा कृत्रिम रूप के साथ टकराव है। यदि जीवात्मा इसका हनन नहीं करती तो यह कृत्रिम रूप जीवात्मा को ईश्वरीय प्रकाश से दूर कर देता है, क्योंकि कृत्रिम रूप ईश्वरीय प्रकाश से घृणा करता है। | ||
मुख्य बात यह है कि शिक्षक और गुरु [[Special:MyLanguage/Sanat Kumara|सनत कुमार]] (Sanat Kumara) [[Special:MyLanguage/Maitreya|मैत्रेय]] (Maitreya) के सन्देश वाहक (messenger) में शारीरिक रूप में हमारे साथ हैं ताकि दीक्षा के [[Special:MyLanguage/Path|मार्ग]] (Path) पर | मुख्य बात यह है कि शिक्षक और गुरु [[Special:MyLanguage/Sanat Kumara|सनत कुमार]] (Sanat Kumara) [[Special:MyLanguage/Maitreya|मैत्रेय]] (Maitreya) के सन्देश वाहक (messenger) में शारीरिक रूप में हमारे साथ हैं ताकि दीक्षा के [[Special:MyLanguage/Path|मार्ग]] (Path) पर प्रेरित प्रत्येक मनुष्य भौतिक और आध्यात्मिक स्तर पर संतुलन बनाये रखे और "मन की दहलीज़ पर स्तिथ कृत्रिम रूप' का सामना कर सके। | ||
<span id="In_Theosophy"></span> | <span id="In_Theosophy"></span> |
edits