Jump to content

Translations:Elementals/11/hi: Difference between revisions

no edit summary
No edit summary
No edit summary
Line 1: Line 1:
मनुष्य के चार निचले शरीर ऐसे ही हैं जैसे पदार्थ के चार स्तर। इनकी सेवा के लिए ईश्वर ने सृष्टि देवों (ये मानवजाति से कम विकसित हैं) को बनाया है जो ब्रह्मांडीय शक्तियों को मनुष्य तक पहुंचाते हैं। ईश्वर के बच्चों (मानवजाति) की सेवा के लिए सृष्टि देवों का निर्माण [[Special:MyLanguage/Elohim|एलोहीम]] ने किया है। समय और स्थान में सीमित रहते मनुष्यों की सेवा करने के साथ साथ ये सृष्टि देव भी पृथ्वी के विज्ञान में निपुण हो जाते हैं और फिर मनुष्यों जैसे ही व्यवहार करने लगते हैं। जब मनुष्य धीरे-धीरे अपने इश्वरिये संयम द्वारा अंदर के संसार को जीतने के लिए कार्य करता है, अनजाने में ही वह इन सृष्टि देवों की भी सहायता कर रहा होता है।
मनुष्य के चार निचले शरीर ऐसे ही हैं जैसे पदार्थ के चार स्तर। इनकी सेवा के लिए ईश्वर ने सृष्टि देवों (ये मानवजाति से कम विकसित हैं) को बनाया है जो ब्रह्मांडीय शक्तियों को मनुष्य तक पहुंचाते हैं। ईश्वर के बच्चों (मानवजाति) की सेवा के लिए सृष्टि देवों का निर्माण [[Special:MyLanguage/Elohim|एलोहीम]] ने किया है। समय और स्थान में सीमित रहते मनुष्यों की सेवा करने के साथ साथ ये सृष्टि देव भी पृथ्वी के विज्ञान में निपुण हो जाते हैं और फिर मनुष्यों जैसे ही व्यवहार करने लगते हैं। जब मनुष्य धीरे-धीरे अपने इश्वरिये संयम द्वारा वास्तविक और अवास्तविक संसार की पहचान को जीतने के लिए कार्य करता है, अनजाने में ही वह इन सृष्टि देवों की भी सहायता कर रहा होता है।
</blockquote>
</blockquote>
6,976

edits