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(Created page with "लोग अक्सर कर्म को भगवान का क्रोध मानते हैं, वे यह सोचते हैं कि वर्तमान का बुरा समय उनके पूर्व में किये गए किसी बुरे कर्म का फल है। यह अवधारणा लूसिफ़ेर जैसे पथभ्रष्ट देवदूतों द्वारा फ...") |
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लोग अक्सर कर्म को भगवान का क्रोध मानते हैं, वे यह सोचते हैं कि वर्तमान का बुरा समय उनके पूर्व में किये गए किसी बुरे कर्म का फल है। यह अवधारणा लूसिफ़ेर जैसे पथभ्रष्ट देवदूतों द्वारा फैलाई गई है। | लोग अक्सर कर्म को भगवान का क्रोध मानते हैं, वे यह सोचते हैं कि वर्तमान का बुरा समय उनके पूर्व में किये गए किसी बुरे कर्म का फल है। यह अवधारणा लूसिफ़ेर जैसे पथभ्रष्ट देवदूतों द्वारा फैलाई गई है। | ||
कर्म सज़ा नहीं है, बल्कि यह पूर्व में कियते गए कर्म को सुधारने का एक अवसर है। हमें इस मौके को गँवाना नहीं चाहिए वरन आनंद के साथ इसका लाभ उठाना चाहिए क्योंकि यह हमारे जीवन के ऋणों को संतुलित करने का मौका है। | |||
Returning karma is the glorious opportunity for us to be free, for us to learn the law of non-attachment, non-possessiveness, and to realize the effects of the causes we have sent out. It is altogether natural and proper that we should be able to be on the receiving end of whatever we’ve sent out. If we have sent out love, we have a right to know what it feels like to receive that love in return, and if we have sown hatred or sadness, that’s going to come back also. And when it comes back we shouldn’t have any sense that this is unjust. | Returning karma is the glorious opportunity for us to be free, for us to learn the law of non-attachment, non-possessiveness, and to realize the effects of the causes we have sent out. It is altogether natural and proper that we should be able to be on the receiving end of whatever we’ve sent out. If we have sent out love, we have a right to know what it feels like to receive that love in return, and if we have sown hatred or sadness, that’s going to come back also. And when it comes back we shouldn’t have any sense that this is unjust. |
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