Translations:Gautama Buddha/42/hi
मगर उन्हें यह चिंता थी कि कुंडा को कैसे समझाया जाए, क्योंकि वो शायद इस बात के लिए स्वयं को जिम्मेदार महसूस करेगा। इसलिए उन्होंने आनंद को कहा कि वह कुंडा को यह बताये की उनके पूरे जीवन में जो भी भोजन उन्होंने खाया है उनमें से केवल दो ही विशेष आशीर्वाद के रूप में सामने आए हैं - एक जो सुजाता ने उन्हें खिलाया था और दूसरा जो कुंडा ने। सुजाता के भोजन से उनका ज्ञानोदय हुआ और कुंडा के भोजन ने उनके लिए पारगमन के द्वार खोले थे।