बाल रूप
1. सूर्य के वस्त्र धारण करने वाली स्त्री से जन्मा बालक (Rev. १२) कुंभ युग में सार्वभौमिक आत्मा का अवतार है। यह उन सभी ईश्वर के पुत्र और पुत्रियाँ में भी है जिनकी नियति आत्मिक चेतना को पृथ्वी के विकास पर केंद्रित करने की है।
२. हृदय में जन्म लेने वाला चैतन्य बालक और वे आत्माएं जो चैतन्य व्यक्ति के रूप में पैदा हुई हैं, जो अपने पिछले जन्मों में रासायनिक विलय की दीक्षा प्राप्त कर चुके हैं - यानी की रूबी रे के पथ का अनुसरण करते हुए जीवात्मा को पवित्र आत्मिक स्व के साथ संलगन कर चुके हैं।
३. “बालपुरुष” शब्द उस बच्चे को भी संदर्भित करता है जिसने अपनी मां के गर्भ से पवित्र आत्मा को धारण किया है, उदाहरण के लिए, जॉन द बैपटिस्ट और ईसा मसीह।
स्रोत
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Saint Germain On Alchemy: Formulas for Self-Transformation
Pearls of Wisdom, vol. 31, no. 61, September 18, 1988.