मानवी अहम्

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व्यक्तित्व का वह हिस्सा जो मानवीय चेतना को ही सम्पूर्ण सत्य मानता है; स्व-विरोधी, कृत्रिम छवि

फिर भी सफल और स्वस्थ आत्म-छवि वाला, सकारात्मक अहम्ब एक महत्वपूर्ण घटक है जो मानव को निडर होकर दिव्य अहम् तक पहुंचने में सक्षम बनाता है, कदम दर कदम खुद को त्यागता है, और अतीत की घटनाओं को तब तक त्यागता रहता है जब तक वह पूर्ण रूप से शुद्ध न हो जाए। इस नए दीप्तिमान अस्तित्व में सात्विक आनंद व्यक्ति के स्वार्थ और वास्तविकता की एक नई परिभाषा बन जाता है। कहते हैं कि ईश्वर के प्रति स्वस्थ समर्पण के लिए एक स्वस्थ अहम अत्यावश्यक है।

इसे भी देखिये

Dweller-on-the-threshold

Carnal mind

Sources

Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Saint Germain On Alchemy: Formulas for Self-Transformation.