Translations:Jesus/44/hi

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यीशु हमें दिव्यगुरुओं के अधीन शिष्यत्व के मार्ग पर चलने के लिए कहते हैं। उन्होंने इस पथ पर चलने के लिए प्रार्थनाओं एक श्रृंखला जारी की है, जो वॉकिंग विद द मास्टर: आंसरिंग द कॉल ऑफ जीसस[1] पुस्तक में प्रकाशित की गई है। कुम्भ युग के अपने शिष्यों से यीशु कहते हैं, “मित्र के लिए अपने प्राण त्यागना प्रेम का सर्वोच्च उदाहरण है ।[2] मेरे प्रिय जनों, मैं मृत्यु की नहीं, बल्कि एक जीवंत जीवन की बात कर रहा हूँ - एक ऐसा जीवन जो मेरे दिल तक पहुंचने के लिए जीया गया है। ऐसा व्यक्ति ही एक सच्चा शिष्य है जो धर्मदूत कहलाने का अधिकार रखता है।वह ही प्रकाश का दूत और प्रकाश का संवाहक माना जाता है। Pearls of Wisdom, vol. ३०, no. २७, ५ जुलाई, १९८७.</ref>

  1. Elizabeth Clare Prophet and Staff of Summit University, Walking with the Master: Answering the Call of Jesus
  2. जॉन १५:१३.