कार्मिक बोर्ड
कार्मिक बोर्ड आठ दिव्यगुरुओं की एक संस्था है जो पृथ्वी के प्रत्येक जीव की ज़िम्मेदारी उठाती है। इनका कार्य हर एक जीव को उसके कर्म के अनुसार, दया दिखाते हुए, उचित इन्साफ देना है। ये सभी २४ वरिष्ठ दिव्यात्माओं के अधीन रहते हुए, पृथ्वी के जीवों और उनके कर्मों के बीच मध्यस्तता का काम करते हैं।
प्रत्येक जीवात्मा को पृथ्वी पर जन्म लेने से पहले और पृथ्वी से पलायन (मृत्यु) के बाद कार्मिक बोर्ड के सामने प्रस्तुत होने होता है। यहाँ उनके पूर्व जीवन का अवलोकन और आगामी जीवन के कर्मों का आवंटन होता है। मनुष्यों के जीवन का लेखा-जोखा रखने वाले तथा उनकी सूचीपत्र के रखवाले कर्म के स्वामी को हर एक मनुष्य के जन्म-जन्मांतर के कर्मों के अभिलेख दिखाते हैं। फिर इस बात का निर्णय होता है कि कौन सी जीवात्मा पृथ्वी पर पुनः जन्म लेगी और उसका जन्म कब और कहाँ होगा। वे जीवात्मा के कर्मों का अवलोकन कर इस बात का भी निर्णय लेते हैं हैं कि उसे कैसा परिवार और समुदाय मिलेगा। जीवात्मा के ईश्वरीय स्वरुप और उसकी स्व चेतना के साथ विचार विमर्श कर के कार्मिक बोर्ड के सदस्य इस बात का भी निर्णय लेते हैं कि वह समय कब आएगा जब जीवात्मा जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो ईश्वर के श्री चरणों में विलीन हो जायेगी।
सदस्य
कार्मिक बोर्ड के सदस्य निम्नलिखित हैं: महान दिव्य निर्देशक (ये पहली किरण का प्रतिनिधित्व करते हैं , स्वतंत्रता की देवी (दूसरी किरण का प्रतिनिधित्व करती हैं), दिव्यगुरु लेडी मास्टर नाडा (तीसरी किरण के प्रतिनिधित्व करती हैं), एलोहिम साइक्लोपीया (ये चौथी किरण का प्रतिनिधित्व करते हैं), सत्य की देवी पालस एथेना (ये पांचवीं किरण का प्रतिनिधित्व करती हैं), न्याय की देवी पोर्शिया (ये छठी किरण का प्रतिनिधित्व करती हैं) और दया की देवी कुआन यिन (ये सातवीं) किरण का प्रतिनिधित्व करती हैं)। थोड़ा समय पहले पांच ध्यानी बुद्धों में से एक वैरोचन कार्मिक बोर्ड के आठवें सदस्य बनाये गए हैं।
अपनी अपरिमित दया दिखाते हुए भगवान ने कार्मिक बोर्ड के सदस्यों को मनुष्यों और ईश्वर के बीच मध्यस्तता करने के लिए नियुक्त किया है। कार्मिक बोर्ड मानव जाति की स्व-चेतना के स्तर पर कार्य करता है और प्रतिदिन मानव जाति द्वारा ऊर्जा के उपयोग के संतुलन को नापता है।
Functions
The Lords of Karma adjudicate the cycles of individual karma, group karma, national karma and world karma, always seeking to apply the Law in the way that will give people the best opportunity to make spiritual progress. When the Karmic Lords release a spiral of karma for the planet, the entire nature kingdom plays a part in its descent, which is always according to the law of cycles.
The elementals have been the foremost instruments of the karmic return of mankind’s discord. The earliest memory we have of this phenomenon is the sinking of the continent of Lemuria beneath the Pacific many thousands of years ago for the karma of the abuse of the sacred fire by priests and priestesses at the altars of God.
Changes in climatic conditions (as well as storm, flood, fire, tornado and cataclysm) are brought about as the result of man’s misuse of the creative power of the Holy Spirit. Through these periodic disturbances in nature, when Atlas shrugs off human discord, the balance of the four elements is restored and the four lower bodies of the planet are purified and realigned.
Petitions from mankind
► Main article: Petitions to the Karmic Board
Twice a year, at winter and summer solstice, the Lords of Karma meet at the Royal Teton Retreat to review petitions from unascended mankind. Traditionally, students of the masters write personal petitions to the Karmic Board requesting grants of energy, dispensations and sponsorship for constructive projects and endeavors. The letters are consecrated and burned. The angels then carry the etheric matrix of these letters to the Royal Teton Retreat, where they are read by the Lords of Karma.
Students who are requesting assistance may offer to perform a particular service or work or make a commitment to certain prayers and decrees that the masters can use as “seed money” for something they desire to see accomplished in the world. They may also offer a portion of their causal body as energy for the masters to use, but such an offer must be approved by the Lords of Karma. The exact percentage will be determined by the I AM Presence and Holy Christ Self.
Sources
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, The Masters and Their Retreats, s.v. “Karmic Board.”