ब्रह्मांडीय अपरिणीता/नवीन
दिव्य माँ जो अपनी शुद्ध जागरूकता (ब्रह्मांडीय चेतना) में हमारी दिव्य पूर्णता को हम सभी की ओर से बनाए रखती है। हम इस माँ की ब्रह्म उपस्थिति के बच्चे हैं जो ब्रह्मांडीय गर्भ में तैर रहे हैं। इन्हें हम ओमेगा कहते हैं और इनकी आवाज़, "ओम," की ध्वनि है, वही ध्वनि जो समस्त सृष्टि में व्याप्त होने पर भी हमें सुनाई नहीं देती।
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स्रोत
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Saint Germain On Alchemy: Formulas for Self-Transformation.