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निपुण होने का अर्थ है ईश्वर के मन में प्रवेश करने के लिए अपने भीतर ईश्वर की लौ और ईश्वरीय गुणों में निपुणता प्राप्त करना। इसका मतलब यह है की आप किसी भी परिस्तिथि में विचलित नहीं होते, स्तिथि कितनी ही विषम क्यों न हो, आप अपने मार्ग पर पर अडिग रहते हैं। निपुण व्यक्ति सदा स्थिर भाव से रहते हैं, बिल्कुल ताई ची
निपुण होने का अर्थ है ईश्वर के मन में प्रवेश करने के लिए अपने भीतर ईश्वर की लौ और ईश्वरीय गुणों में निपुणता प्राप्त करना। इसका मतलब यह है की आप किसी भी परिस्तिथि में विचलित नहीं होते, स्तिथि कितनी ही विषम क्यों न हो, आप अपने मार्ग पर पर अडिग रहते हैं। निपुण व्यक्ति सदा स्थिर भाव से रहते हैं, बिल्कुल ताई ची
(T’ai Chi) के मध्य में। वे यह जान पाते हैं कि उनके अंदर ईश्वर का वास है, ईश्वर ने मानव की जगह ले ली है। यह एकीकरण ही आपका लक्ष्य है...
(T’ai Chi) के मध्य में। वह व्यक्ति स्वयं को सर्वोच्च रूप से ईश्वर के रूप में जानता है क्योंकि ईश्वर ने मानव की जगह ले ली है। यह एकीकरण ही आपका लक्ष्य है...


इसीलिए मैं आपके ऊपर अपने पुत्र (ईसा मसीह) की उस समय की आणविक उपस्तिथि (electronic presence) रखती हूँ जब वह ३३ वर्ष का था। मेरे प्रियजनो, उसकी उपस्तिथि को पहचानिये, अनुभव कीजिये और वैसा ही बनने की इच्छा रखिये। रास्ते में आने वाली परीक्षाओं की चिंता मत कीजिये, इस बात को समझिये कि अगर आप अपने को उतना निपुण बना लेते हैं तो आपके पवित्र हृदय और निर्मल जीवन से प्ररेणा लेकर बहुत सारे लोग भवसागर के चक्कर से बच सकते हैं।
इसीलिए मैं आपके ऊपर अपने पुत्र (ईसा मसीह) की उस समय की आणविक उपस्तिथि (electronic presence) रखती हूँ जब वह ३३ वर्ष का था। मेरे प्रियजनो, उसकी उपस्तिथि को पहचानिये, अनुभव कीजिये और वैसा ही बनने की इच्छा रखिये। रास्ते में आने वाली परीक्षाओं की चिंता मत कीजिये, इस बात को समझिये कि अगर आप अपने को उतना निपुण बना लेते हैं तो आपके पवित्र हृदय और निर्मल जीवन से प्ररेणा लेकर बहुत सारे लोग भवसागर के चक्कर से बच सकते हैं।
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