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(Created page with "मणिपुर चक्र के बिंदु पर आरेखित, शरीर के निचले भाग की ओर सर्पिल गति से जाते हुए मनुष्य के सब नकारात्मक कर्म पैरों के नीचे जाकर इकट्ठे होते हैं, जहाँ यह एक केतली का आकार...") |
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अपनी शिक्षाओं में कुथुमी ने हमें अपनी [[Special:MyLanguage/dweller-on-the-threshold|दहलीज पर रहनेवाले दुष्ट]] और इलेक्ट्रॉनिक बेल्ट को समझने का मार्ग दिखाया है। मनुष्य के सारे नकारात्मक कर्म उसके [[Special:MyLanguage/Synthetic image|कृत्रिम स्व]] या [[Special:MyLanguage/carnal mind|दैहिक मन]] में नाभि के निचले हिस्से में एकत्रित हो एक पेटी के सामान उससे लिपटे रहते हैं। इसे ही [[Special:MyLanguage/electronic belt|इलेक्ट्रॉनिक बेल्ट]] कहते हैं। | अपनी शिक्षाओं में कुथुमी ने हमें अपनी [[Special:MyLanguage/dweller-on-the-threshold|दहलीज पर रहनेवाले दुष्ट]] और इलेक्ट्रॉनिक बेल्ट को समझने का मार्ग दिखाया है। मनुष्य के सारे नकारात्मक कर्म उसके [[Special:MyLanguage/Synthetic image|कृत्रिम स्व]] या [[Special:MyLanguage/carnal mind|दैहिक मन]] में नाभि के निचले हिस्से में एकत्रित हो एक पेटी के सामान उससे लिपटे रहते हैं। इसे ही [[Special:MyLanguage/electronic belt|इलेक्ट्रॉनिक बेल्ट]] कहते हैं। | ||
[[Special:MyLanguage/Solar-plexus chakra|मणिपुर चक्र]] के बिंदु पर आरेखित, शरीर के निचले भाग की ओर सर्पिल गति से जाते हुए मनुष्य के सब नकारात्मक कर्म पैरों के नीचे जाकर इकट्ठे होते हैं, जहाँ यह एक केतली का आकार ले लेते हैं। अवचेतन और अचेतन मन का यह क्षेत्र सभी पूर्व जन्मों के सभी अपरिवर्तित कर्मों का अभिलेख रखता है। इस अपरिवर्तित ऊर्जा के भंवर के मध्य में मनुष्य की स्वयं-विरोधी चेतना स्थित होती है, जिसका समाप्त होना ईश्वरत्व प्राप्त करने के लिए ज़रूरी है। | |||
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