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Kuthumi/hi: Difference between revisions

Created page with "अगर हम दिव्यगुरु का मंत्र "आई ऍम लाइट" बोलते हैं तो वे अच्छी तरह से हमारी सहायता कर सकते हैं। यह मंत्र ईश्वर के ज्ञान के विकास तथा उनके श्वेत प्रकाश की बढ़ोतरी के लिए है। ये..."
(Created page with "मणिपुर चक्र के बिंदु पर आरेखित, शरीर के निचले भाग की ओर सर्पिल गति से जाते हुए मनुष्य के सब नकारात्मक कर्म पैरों के नीचे जाकर इकट्ठे होते हैं, जहाँ यह एक केतली का आकार...")
(Created page with "अगर हम दिव्यगुरु का मंत्र "आई ऍम लाइट" बोलते हैं तो वे अच्छी तरह से हमारी सहायता कर सकते हैं। यह मंत्र ईश्वर के ज्ञान के विकास तथा उनके श्वेत प्रकाश की बढ़ोतरी के लिए है। ये...")
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[[Special:MyLanguage/Solar-plexus chakra|मणिपुर चक्र]] के बिंदु पर आरेखित, शरीर के निचले भाग की ओर सर्पिल गति से जाते हुए मनुष्य के सब नकारात्मक कर्म पैरों के नीचे जाकर इकट्ठे होते हैं, जहाँ यह एक केतली का आकार ले लेते हैं। अवचेतन और अचेतन मन का यह क्षेत्र सभी पूर्व जन्मों के सभी अपरिवर्तित कर्मों का अभिलेख रखता है। इस अपरिवर्तित ऊर्जा के भंवर के मध्य में मनुष्य की स्वयं-विरोधी चेतना स्थित होती है, जिसका समाप्त होना ईश्वरत्व प्राप्त करने के लिए ज़रूरी है।
[[Special:MyLanguage/Solar-plexus chakra|मणिपुर चक्र]] के बिंदु पर आरेखित, शरीर के निचले भाग की ओर सर्पिल गति से जाते हुए मनुष्य के सब नकारात्मक कर्म पैरों के नीचे जाकर इकट्ठे होते हैं, जहाँ यह एक केतली का आकार ले लेते हैं। अवचेतन और अचेतन मन का यह क्षेत्र सभी पूर्व जन्मों के सभी अपरिवर्तित कर्मों का अभिलेख रखता है। इस अपरिवर्तित ऊर्जा के भंवर के मध्य में मनुष्य की स्वयं-विरोधी चेतना स्थित होती है, जिसका समाप्त होना ईश्वरत्व प्राप्त करने के लिए ज़रूरी है।


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अगर हम दिव्यगुरु का [[Special:MyLanguage/mantra|मंत्र]] "आई ऍम लाइट" बोलते हैं तो वे अच्छी तरह से हमारी सहायता कर सकते हैं। यह मंत्र ईश्वर के ज्ञान के विकास तथा उनके श्वेत प्रकाश की बढ़ोतरी के लिए है। ये हमें यह बताने के लिए है कि ईश्वर हमारे अंदर ही बसता है। जब हम ईश्वर के करीब जाते हैं तो ईश्वर भी हमारे पास आते हैं, और फिर देवदूत भी एकत्र होकर हमारे [[Special:MyLanguage/aura|आभा]] को और प्रभावी बनाते हैं। कुथुमी ने अपनी पुस्तक "स्टडीज ऑफ़ ह्यूमन ऑरा" में "आई एम लाइट" मंत्र का उपयोग करते हुए एक त्रिगुणी अभ्यास के बारे में बताते हैं, जिसे छात्र अपनी आभा के आवरण को मजबूत करने के उद्देश्य से कर सकते हैं ताकि वे ईश्वरत्व की चेतना को बनाए रख सकें।
The master can better help us if we give his [[mantra]], “I AM Light.” This mantra is for the development of a tremendous momentum of white light and the wisdom of God. It is to bring us to the realization that God can and does dwell within us. When we draw nigh to him, he draws nigh to us, and the angelic hosts also gather for the strengthening of the [[aura]]. In his book ''Studies of the Human Aura'', Kuthumi speaks of a threefold exercise using the “I AM Light” mantra that students can give for the purpose of strengthening the sheath of the aura so that they can maintain the consciousness of Christ, of God, of Buddha, of Mother.
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