Root race/hi: Difference between revisions

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चौथी मूल जाति के समय में [[Special:MyLanguage/Lemuria|लेमुरिया]] महाद्वीप पर पतित देवदूतों के अत्याधिक प्रभाव के परिणाम स्वरुप मानवता का पतन हुआ। इन पतित देवदूतों को [[Special:MyLanguage/Serpent|सर्प]] के रूप में जाना जाता है, संभवतः इसलिए क्योंकि इन्होने रीढ़ की सर्पिल ऊर्जा का उपयोग जीवात्मा (जिसका रूप एक निर्मल स्त्री के सामान होता है) को बेवक़ूफ़ बनाकर ईश्वर के पुत्रों को नपुंसक बनाने के लिए किया।  


The fourth, fifth, and sixth root races (the latter soul group not having entirely descended into physical incarnation) remain in embodiment on earth today. The seventh root race is destined to incarnate on the continent of South America in the [[Aquarian age]].
चौथी, पाँचवीं और छठी मूल जातियाँ (छठी मूल जाति जीवात्मा समूह अभी पूरी तरह से भौतिक अवतार में नहीं उतरा है) आज भी पृथ्वी पर अवतरित हैं। सातवीं मूल जाति का [[Special:MyLanguage/Aquarian age|कुंभ युग]] में दक्षिण अमेरिका महाद्वीप पर अवतार लेना तय है।


== The Manus ==
== The Manus ==

Revision as of 13:08, 3 October 2025

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मूल जाति जीवात्माओं का वो एक समूह है जो सभी एक साथ पृथ्वी पर जन्म लेती हैं। इन सब एक विशिष्ट आदर्श स्वरूप होता है, सबकी एक ही दिव्य योजना होती है और उसे पूरा करने का ध्येय भी एक ही होता है। गुह्य परंपरा के अनुसार, सभी जीवात्माएं सात मूल जातियों में विभाजित हैं।

आदम और हव्वा के पतन से पहले तीन स्वर्ण युगों में, पहली तीन मूल जातियाँ पृथ्वी पर पवित्रता और निर्मलता के साथ रहती थीं। ब्रह्मांडीय नियमों का पालन और वास्तविक आत्मा के साथ पूर्ण तादात्म्य स्थापित करके, इन तीन मूल जातियों ने अमरत्व प्राप्त कर लिया था तथा वे पृथ्वी से ऊपर के आयामों में चली

चौथी मूल जाति के समय में लेमुरिया महाद्वीप पर पतित देवदूतों के अत्याधिक प्रभाव के परिणाम स्वरुप मानवता का पतन हुआ। इन पतित देवदूतों को सर्प के रूप में जाना जाता है, संभवतः इसलिए क्योंकि इन्होने रीढ़ की सर्पिल ऊर्जा का उपयोग जीवात्मा (जिसका रूप एक निर्मल स्त्री के सामान होता है) को बेवक़ूफ़ बनाकर ईश्वर के पुत्रों को नपुंसक बनाने के लिए किया।

चौथी, पाँचवीं और छठी मूल जातियाँ (छठी मूल जाति जीवात्मा समूह अभी पूरी तरह से भौतिक अवतार में नहीं उतरा है) आज भी पृथ्वी पर अवतरित हैं। सातवीं मूल जाति का कुंभ युग में दक्षिण अमेरिका महाद्वीप पर अवतार लेना तय है।

The Manus

Each root race embodies under the aegis of a Manu (Sanskrit, “progenitor” or “lawgiver”), who embodies the Christic image for the race.

See also

Manu

Seventh root race

Sources

Pearls of Wisdom, vol. 25, no. 53, December 29, 1982.

Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Saint Germain On Alchemy: Formulas for Self-Transformation, s.v. “Manu.”

Pearls of Wisdom, vol. 37, no. 16, April 17, 1994.