8,372
edits
JaspalSoni (talk | contribs) No edit summary |
JaspalSoni (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 157: | Line 157: | ||
आपमें से कई शिष्य बनने के रास्ते पर चल रहे हैं। लेकिन मैं आपका कई वर्षों तक, कभी-कभी जीवन भर तक, निरीक्षण करता हूँ जब तक मुझे स्वयं सर्वशक्तिमान ईश्वर से संकेत मिलता है कि मैं किसी और का बोझ अपने ऊपर ले सकता हूँ और उसे अपना शिष्य बना सकता हूँ। | आपमें से कई शिष्य बनने के रास्ते पर चल रहे हैं। लेकिन मैं आपका कई वर्षों तक, कभी-कभी जीवन भर तक, निरीक्षण करता हूँ जब तक मुझे स्वयं सर्वशक्तिमान ईश्वर से संकेत मिलता है कि मैं किसी और का बोझ अपने ऊपर ले सकता हूँ और उसे अपना शिष्य बना सकता हूँ। | ||
प्रिय, आप इस बात को समझिए कि स्वयं को भगवान की इच्छा का सेवक बनाना अच्छी बात है। ऐसा होने पर आप | प्रिय, आप इस बात को समझिए कि स्वयं को भगवान की इच्छा का सेवक बनाना अच्छी बात है। ऐसा होने पर आप सेवक के रूप में आगे बढ़ते जाएंगे और आपके चार निचले शरीरों और आपके जीवन की परिधि (circumference) के चारों ओर नीले रंग के कई घेरे बन जाएंगे। जब आप जीवन की कई विषम, अस्थिर एवं विनाशकारी परिस्थितियों में भी सही रास्ते पर चलते रहते हैं तो यह सिद्ध हो जाता है कि आप एक उत्तम शिष्य हैं। तब हम दार्जीलिंग समिति में आपका स्वागत करते हैं। | ||
जी हाँ, ये एक बेहद खास मौका है और हर कोई अपने आप को इस लायक बना सकता है। मैं इसके बारे में बात कर रहा हूं क्योंकि मैंने पृथ्वी का सर्वेक्षण किया है और मैंने इस कक्षा में दिए गए उपदेशों को सुना है। मैं समझता हूं कि अगर इन शिक्षाओं के अस्तित्व के बारे में लोगों को पता होगा तो बहुत सारे ऐसे लोग होंगे जो इन शिक्षाओं को खोजेंगे। | जी हाँ, ये एक बेहद खास मौका है और हर कोई अपने आप को इस लायक बना सकता है। मैं इसके बारे में बात कर रहा हूं क्योंकि मैंने पृथ्वी का सर्वेक्षण किया है और मैंने इस कक्षा में दिए गए उपदेशों को सुना है। मैं समझता हूं कि अगर इन शिक्षाओं के अस्तित्व के बारे में लोगों को पता होगा तो बहुत सारे ऐसे लोग होंगे जो इन शिक्षाओं को खोजेंगे। |
edits