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इस पवित्र वस्त्र को आप पिता का दिया हुआ सुरक्षा कवच जानिये। इसे अपने जीवन में प्रकाश का जाल समझिये। जिस प्रकार मकड़ी का जाल मध्य से शुरू होकर सर्वत्र फैल जाता है, उसी प्रकार इंसान के अंतःकरण से उत्पन्न हुई चेतना ब्रह्मांडीय चेतना का रूप ले लेती है। जिस प्रकार से एक छोटे बच्चे को सर्दी से बचाने के लिए प्रेम से कपड़ो की परतों में लपेटा जाता है उसी प्रकार से ध्यानपूर्वक अंतःकरण की भी सुरक्षा करनी चाहिए। अंतःकरण का ज्ञान और धर्म का मार्ग बताने गौतम बुद्ध पृथ्वी लोक पर आए थे। | इस पवित्र वस्त्र को आप पिता का दिया हुआ सुरक्षा कवच जानिये। इसे अपने जीवन में प्रकाश का जाल समझिये। जिस प्रकार मकड़ी का जाल मध्य से शुरू होकर सर्वत्र फैल जाता है, उसी प्रकार इंसान के अंतःकरण से उत्पन्न हुई चेतना ब्रह्मांडीय चेतना का रूप ले लेती है। जिस प्रकार से एक छोटे बच्चे को सर्दी से बचाने के लिए प्रेम से कपड़ो की परतों में लपेटा जाता है उसी प्रकार से ध्यानपूर्वक अंतःकरण की भी सुरक्षा करनी चाहिए। अंतःकरण का ज्ञान और धर्म का मार्ग बताने गौतम बुद्ध पृथ्वी लोक पर आए थे। | ||
अंतःकरण के ज्ञान से मैं उस परदे को अब हटाता हूँ जिसने पूरे पृथ्वी लोक को [[Special:MyLanguage/witchcraft|जादू-टोने]] और अज्ञानता से ढका हुआ है। आप देखेगें कि जब | अंतःकरण के ज्ञान से मैं उस परदे को अब हटाता हूँ जिसने पूरे पृथ्वी लोक को [[Special:MyLanguage/witchcraft|जादू-टोने]] और अज्ञानता से ढका हुआ है। आप देखेगें कि जब इश्वरिये रूप मैं माँ (devotees of the Mother) के भक्त उच्च चेतना से [[Special:MyLanguage/Lord of the World|पृथ्वी के स्वामी]] गौतम बुद्ध का दिव्य आदेशों द्वारा आवाहन करते हैं तो अँधेरा छंट जाता है और उसका स्थान पृथ्वी के स्वामी का प्रकाश ले लेता है.... | ||
अनुक्रम (Hierarchy) मानव की चेतना को ऊपर उठाने का एक तरीका है जिसके द्वारा जीवन में प्रेम और सत्य के प्रवाह एवं शाश्वत यौवन के जीवंत स्रोत को प्राप्त करने के लिए अनुक्रम हमें ईश्वर के केंद्र तक ले जाता है। अनुक्रम सदा रहेगा। आप इस अनुक्रम का हिस्सा हैं। ईश्वरीय लौ को अपने अंदर रखने की क्षमता रखने वाले, श्वेत महासंघ (Great White Brotherhood) से जुड़ने की भी क्षमता रखते हैं। आप ईश्वर की वाणी के जीवित रूप हैं। आप ईश्वर का स्वरुप हैं। "यत् पिण्डे तत् ब्रह्माण्डे'। आप ही अंतःकरण हैं। ईश्वर के प्रकाश को अपने अंदर से बहने दीजिये।<ref>गौतम बुद्ध, “Nourish Love in the Heart of Humanity,” {{POWref|56|1|, १ जनवरी, २०१३}}</ref> | |||
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[[Special:MyLanguage/Ratnasambhava| | [[Special:MyLanguage/Ratnasambhava|रत्नासंभावा]] (Ratnasambhava) ने अंतःकरण के बारे में निम्न बातें कही हैं: | ||
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सभी प्रकार के जीव आपस में जुड़े हुए हैं। इसलिए जब कभी | सभी प्रकार के जीव आपस में जुड़े हुए हैं। इसलिए जब कभी अनश्वर (immortal) को प्राप्त हुए व्यक्ति पृथ्वी पर रहने वाले इंसानों से आत्मिक स्तर पर बात करते हैं, तो ये सब बातें उस व्यक्ति की समान ऊर्जा वाली सभी जीवन धाराओं तक पहुँच जाती हैं क्योंकि यही आपके जीवन जीने का कारण हैं, और आपका [[Special:MyLanguage/dharma|धर्म]] और [[Special:MyLanguage/karma|कर्म]] भी। | ||
तो आप इस बात को अच्छी तरह समझ लीजिये कि [[Special:MyLanguage/Messenger|सन्देशवाहक ]]और | तो आप इस बात को अच्छी तरह से समझ लीजिये कि [[Special:MyLanguage/Messenger|सन्देशवाहक]] (Messenger) और दिव्य वाणी (dictation) का लक्ष्य एक ही उद्देश्य वाली जीवात्माओं को प्रकाश के ''अंतःकरण'' के द्वारा महान जाल से एकीकरण करना है। इस प्रकार की क्रिया से ''अंतःकरण'' कम्पन के द्वारा जीवात्माएं एक कदम ऊपर उठ जाती हैं। तब आप निचले तत्वों को पार करने में सक्षम हो जाते हैं, और स्वयं को जीवन के नए स्तरों की ओर बढ़ते हुए पाते हैं। अंतःकरण की यह कम्पन क्रिया एक उच्च ध्वनि को उत्प्पन करती है और आप उस उच्च ध्वनि के साथ तालमेल करते हुए आगे बढ़ जाते हैं। यही जीवन का एक गूढ़ रहस्य है - हालाँकि मनुष्यता के स्तर पर आप इस क्रिया को समझने में असमर्थ हैं परन्तु सच यह है कि आप सदा हमारे साथ हैं, “हर जगह ईश्वरीय की चेतना में हमारे साथ हैं”।<ref>रत्नासंभावा, “Elements of Being,” {{POWref|37|6|, ६ फरवरी १९९४}}</ref> | ||
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