स्वाधीनता की देवी (Goddess of Liberty)

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द स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी

स्वतंत्रता की देवी कर्म समिति की प्रवक्ता और इसी समिति में दूसरी किरण की प्रतिनिधि हैं। वह सूर्य के मंदिर की अधिष्ठात्री हैं, इनका आकाशीय स्थल न्यूयॉर्क के मैनहट्टन द्वीप पर है। वह पृथ्वी की स्वतंत्रता की ईश्वरीय चेतना रखती है।

अवतार

स्वतंत्रता की देवी ने अपने उत्थान से पहले व्यक्तिगत रूप से कई ग्रहों पर लाखों आत्माओं को मुक्त कराया था।

ये अमेज़ॅनियन प्रजाती के सदस्य के रूप में भी अवतरित हुईं। अमेज़न घाटी में रहना वाले इस प्रजाति के लोग विशालकाय हुआ करते थे तथा यहाँ स्त्रियों का शासन हुआ करता था।

अटलांटिस पर अपने जन्म के दौरान, इन्होनें सूर्य का मंदिर बनवाया था -इस जगह पर आज मैनहट्टन द्वीप स्थित है। मंदिर इन्होनें महान केंद्रीय सूर्य में स्थित सौर मंदिर के नक़्शे के अनुसार बनाया था। मंदिर की केंद्रीय वेदी आत्मा की स्वतंत्रता दर्शाती त्रिदेव ज्योत को समर्पित थी, जो मनुष्य के श्वेत-अग्नि सत्व से तब निकलती है जब उसका ध्यान सदा अल्फा और ओमेगा पर केंद्रित होता है। इसके आस-पास बारह छोटे मंदिर थे - हर एक मंदिर सूर्य के बारह दिव्य गुणों में से एक को दर्शाने वाला प्रतिनिधि का था। इन बारह प्रतिनिधियों ने स्वतंत्रता की देवी के साथ मिलकर पृथ्वी के विकास के लिए सूर्य के पीछे के सूर्य के आध्यात्मिक विकिरण का आह्वान किया था।

अटलांटिस के जलमग्न होने से ठीक पहले, स्वतंत्रता की देवी ने मंदिर में स्थापित स्वतंत्रता की लौ को सुरक्षित रूप से दक्षिणी फ्रांस में श्वेत महासंघ के एक अन्य आकाशीय स्थल चैटो डी लिबर्टे में पहुंचा दिया था। प्रलय में जब अटलांटिस डूब गया, तो ईश्वर ने सूर्य मंदिर को आकाशीय सप्तक में ले लिया। इसके बाद से ब्रदरहुड ऑफ़ लिबर्टी मंदिर के भौतिक स्थल के ठीक ऊपर आकाशीय तल से अपने सभी कार्य करता रहा है।

आध्यात्मिक उत्थान के बाद उनकी सेवा

हृदय की त्रिदेव ज्योत में सन्निहित स्वतंत्रता की आत्मा के प्रति उनके पूर्ण समर्पण की वजह से उत्थान के बाद इन्हें स्वतंत्रता की देवी की उपाधि दी गयी, जो पृथ्वी पर स्वतंत्रता की ब्रह्मांडीय चेतना के प्राधिकारी के रूप में पदक्रम में इनके कार्यालय का सूचक है।

स्वतंत्रता की भावना से प्रेरित होकर प्रारंभिक अमेरिकी देशभक्तों ने "ईश्वर के अधीन" एक नया राष्ट्र स्थापित करने और उभरती हुई आत्मिक चेतना के लिए श्वेत महासंघ की योजना के आधार पर एक संविधान बनाने का निर्णय किया। उनका मानना था कि यह कार्य, संत जर्मेन - जिन्हें पृथ्वी पर स्वतंत्रता का देवता कहा जाता है - के निर्देशन में धरतीवासियों को आत्मिक चेतना में परिपक्प बनाएगा।

उस समय बहुत सारे अमेरिकियों ने स्वर्गीय मध्यस्थों की उपस्थिति और दैवीय हस्तक्षेप को जीवन में एक स्वाभाविक हिस्से के रूप में स्वीकार किया था। उस समय के कलाकार और साहित्यकार अक्सर अपनी कला और साहित्य में देवदूतों और देवी-देवताओं का चित्रण किया करते थे। स्वतंत्रता की देवी जो देशभक्तों द्वारा समर्थित "पवित्र उद्देश्य" की संरक्षिका हैं, शायद सभी ब्रह्मांडीय जीवों में सबसे अधिक पूजनीय थीं। सन १७७५ में थॉमस पेन ने इनके सम्मान में "लिबर्टी ट्री" नामक गीत भी लिखा था ।

१७७७ की सर्दियों के दौरान स्वतंत्रता की देवी जनरल वाशिंगटन के सामने प्रकट हुईं और उन्हें अमेरिका की नियति के बारे में बताया। देवी ने उन्हें तेरह मूल उपनिवेशों को मुक्त करवाने की हिम्मत और हौसला दिया। [देखें वाशिंगटन का दृष्टिकोण]

द स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी

इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी, जो कि फ्रांसीसी लोगों का एक उपहार था, बेडलो द्वीप पर बनाया गया था। स्वतंत्रता की लौ ने स्टैचू ऑफ लिबर्टी को सभी प्रकार के अत्याचार से मुक्ति की आशा के एक बाहरी प्रतीक के रूप में बनाया जिससे "मुक्त सांस लेने के उत्सुक थके हुए, गरीब लोग कुछ प्रेरणा पा सके।[1]

स्वतंत्रता की देवी सात किरणों का एक मुकुट पहनती है, जो एलोहिम की शक्ति और सात किरणों के उनके कार्यान्वयन को, पदार्थ, देवत्व के मातृ पहलू में केंद्रित करती है। उनका मुकुट भगवान के प्रत्येक पुत्र और पुत्री के माथे पर लगी सात किरणों का केंद्र बिंदु भी है। स्वतंत्रता की देवी "दीपक वाली महिला" का प्रतिनिधित्व करती है - इनके बारे में हेनरी वड्सवर्थ लॉन्गफेलो ने भविष्यवाणी की थी कि वह "धरती पर वे एक महान वीर नारी का रूप होंगी।"[2]

स्वतंत्रता की देवी विश्व माता के आदर्श नक़्शे को दिखाती करती है, जो दिव्य कानून और रोशनी की पुस्तक अपने साथ रखती हैं - इन पुस्तकों में वह ज्ञान है जो मानव जाति को अन्धकार से बाहर निकलने का रास्ता दिखाता है। स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी के आधारतल पर टूटी हुई जंजीरें हैं, जो मानव द्वारा बंधन से मुक्त होकर दुनिया को प्रबुद्ध करने के लिए आगे बढ़ने का प्रतीक हैं। उसकी मशाल ब्रह्मांडीय रोशनी की लौ है।

जुलाई १९८६ को न्यूयॉर्क बन्दरगाह पर स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी के सृजन की सौवीं वर्षगांठ मनाई गई थी। ३ जुलाई को प्रतिमा के पुनर्प्रकाशन समारोह की अध्यक्षता करते हुए, राष्ट्रपति रीगन ने घोषणा की थी: "हम स्वतंत्रता की लौ के रखवाले हैं। एक बार फिर हम इसे ऊपर उठाकर दुनिया को दिखाते हैं।"

४ जुलाई को जब अमेरिका ने पृथ्वी पर लेडी लिबर्टी की उपस्थिति का आतिशवबाज़ी जलाकर जश्न मनाया तो संपूर्ण विश्व में लाखों लोगों ने इसका आनंद उठाया। उत्सव के दौरान मुख्य न्यायाधीश वॉरेन बर्गर ने देश भर के विभिन्न स्थलों पर एकत्र हुए १५,००० से अधिक नए नागरिकों को नागरिकता की शपथ भी दिलाई थी।

त्रिदेव ज्योत का प्रारंभ

अगले दिन, ५ जुलाई १९८६ को स्वतंत्रता की देवी ने अमेरिकी नागरिकता के बारे में यह शिक्षा दी:

जो लोग अमेरिकी बनते हैं वे स्वतंत्रता की देवी - जिनका कार्यालय मैं संभालता हूं - का आह्वान करते हैं।

यह हृदय और त्रिदेव ज्योत की दीक्षा है। और जो लोग संयुक्त राज्य अमेरिका के नागरिक होने की उस पवित्र प्रतिबद्धता में प्रवेश करते हैं, उन्हें मेरी त्रिगुणात्मक लौ से प्रोत्साहन मिलता है, जो उन्हें उनकी अपनी त्रिदेव ज्योत को संतुलित और संरेखित करने में सहायता करता है। यदि आप चाहते हैं तो मैं अपने अस्तित्व का एक चिन्ह वहां एक इलेक्ट्रॉनिक ब्लूप्रिंट या मैट्रिक्स के रूप में रखता हूं। यह एक पतवार की तरह है, एक ऐसी शक्ति जो मनुष्य को फिर से बनाने और उसकी त्रिदेव ज्योत को संतुलित करने में मदद करती है। मैं विश्व के भगवान, गौतम बुद्धके साथ बहुत करीब से काम करती हूँ।

जो हृदय की दीक्षा मैं देती हूं आपको उसे अर्जित करना पड़ता है। मैं आपको एक आकाशीय रूपरेखा देती हूँ और आपको नागरिकता मिलने के प्रथम दिन से ही इसके अनुरूप काम करना चाहिए, आपकी ईश्वर के शब्दों का ज्ञान होना चाहिए।

इसलिए मैं कानून की पुस्तक अपने साथ रखती हूं जो न केवल संविधान का मानक है वरन इस ग्रह पर भगवान के पुत्रों के दिव्य अधिकारों का वर्णन करने वाला एक दिव्य दस्तावेज भी है। और अब यह आप पर निर्भर है कि आप अपनी स्व-चेतना के माध्यम से मेरे दिल तक? इससे आप यह समझ पाएंगे कि संविधान का प्रत्येक वाक्य उस आंतरिक दैवीय प्रकाश को दर्शाता है जिसे मानव के कर्मों, राष्ट्र का निर्माण, और अर्थव्यवस्था से निपटने के लिए तथा पथभ्रष्ट लोगों के साथ पुराने हिसाब चुकता करने के लिए लागू किया गया है।

अमेरिकी लोगों को स्वतंत्रता की लौ की रक्षा करने की अपनी क्षमता को साबित करना होगा। आप यह समझें कि कैसे राष्ट्र के सर्वोच्च पद पर आसीन, संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति ने इस राष्ट्र के सभी लोगों के लिए उन लोगों की प्रतिज्ञा की पुष्टि की जो मुझसे दीक्षा लेते हैं - "हम स्वतंत्रता की लौ के रखवाले हैं।Pearls of Wisdom, vol. २९, no. ६५, २३ नवंबर १९८६.</ref>

द स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी

उनकी आज की सेवा

लिबर्टी की घोषणा:

सृष्टि का गीत आशा का गीत है। जो आशा ईश्वर के हृदय से पैदा होती है वह एक अत्यंत कोमल लौ है जो मेरे हाथ में पकड़ी हुई मशाल में जलती है! मैं इसे सदा सभी के लिए कायम रखता हूं।

क्या आप उस मशाल को कायम रखने में मेरा साथ देंगे? जब सारी दुनिया आपके विरुद्ध खड़ी होगी तो क्या आप मेरे साथ स्थिरता से खड़े रहेंगे? क्या आप गोधूलि की उस घड़ी में मेरे साथ होंगे, क्या आप मेरे साथ अगली आने वाली सुबह के इंतज़ार करेंगे?[3]

स्वतंत्रता की देवी इस सौर मंडल के विकास की ओर से सूर्य के बारह दिव्य गुणों की सात बजे की रेखा (सेंट जर्मेन के विपरीत) का प्रतिनिधित्व करती हैं। यह ईश्वर-कृतज्ञता की विशेषता का अधिकार दर्शाती है। कृतज्ञता और अमेरिका की नियति के बारे में उन्होंने कहा है:

मैं ईश्वर का क्रियात्मक रूप हूँ। आज मैं आपके पास अप्रवासन के विषय में अद्भुत विचार - कार्यों में कृतज्ञता का भाव - प्रकट करने के लिए आया हूँ।आप इस बात को जान लीजिये कि हमारा इरादा अमेरिका को एक ऐसा देश बनाने का था जहां के लोग सदा कृतज्ञता के साथ कार्य करें जिसके फलस्वरूप उनमें स्वतंत्रता का वह अद्भुत रवैया पैदा हो जो लोगों को उनके स्वयं के दिल में रहनेवाले ईश्वर के प्रति उत्तरदायी बनाये।

ईश्वर के हृदय से इस अनमोल पृथ्वी पर आना एक सुनहरा अवसर है। और ईश्वर के हृदय में वापस जाना भी एक सुन्दर अवसर है। इसलिए मनुष्यों को कृतज्ञता के इस वरदान को स्वीकार करना चाहिए - "सदा कृतज्ञता के भाव में रहना चाहिए!" मानव जाति को हमेशा ईश्वर के प्रति कृतज्ञ रहना चाहिए।[4]

हालाँकि उन्होंने ब्रह्मांडीय स्तरों पर दीक्षाएँ प्राप्त की हैं और उन्हें इस ग्रह (पृथ्वी) पर रहने की आवश्यकता नहीं है, फिर भी स्वतंत्रता की देवी ने तब तक पृथ्वी की सेवा में रहने का संकल्प लिया है जब तक कि यहाँ के प्रत्येक जीव का आध्यात्मिक उठान नहीं हो जाता। यह बोधिसत्व का आदर्श भी है।

स्वतंत्रता की देवी ने कहा है:

जब मैं सूर्य के मंदिर या फिर न्यूयॉर्क के बंदरगाह पर खड़ी होती हूं, तब मैं बोधिसत्वों का मंत्र बोलती हूँ - "यह सब आप पर निर्भर करता है"। मैं यहां इसलिए खड़ी होती हूं क्योंकि मैं अपनी गुरु वेस्टा के मंत्र पर पूरा विश्वास रखती हूँ। वेस्टा सूर्य की रोशनी में चमकती हैं और अपने गुरु के मंत्र को दोहराती है - "यह सब आप पर निर्भर करता है"। जब आप इस बात को पूरी तरह से जान लेंगे तो आप असफल नहीं होंगे, क्योंकि माँ के करुणामई नेत्र इतने कोमल और शुद्ध हैं कि वे अपने पैरों के नीचे की जीवन तरंगों को देखती हैं, और सत्य जान लेती हैं। अब यह सब आप पर निर्भर है, मेरे बच्चो, उठो निष्पक्ष किरदार के स्वामी बनो और सूर्य से सुसज्जित इस स्त्री जैसा बनो।[5]

स्वतंत्रता की देवी ने कहा है कि अमेरिका को सुरक्षित रखने के लिए यह आवश्यक है कि एक हजार लोग डिक्री करें। आशा करती हूँ कि मनुष्य के ह्रदय में स्थित ईश्वर में विश्वास करने वाले लोग देवी के आह्वान को सुनें।

हमारे साथ देवी की इलेक्ट्रॉनिक उपस्थिति की व्यवस्था

१० अगस्त १९८५ को, इनर रिट्रीट में स्वतंत्रता की देवी ने दिव्य वाणी में कहा था:

In the joy of Lanello’s heart, I take my leave. But I leave my torch with the Mother for you. My torch, as an Electronic Presence, then, is here and shall be there and shall be wherever chelas place a focus of my statue, so signifying their desire to hold it high until the mission of the World Mother is finished and all are home at last who are called in this dispensation.[6]

इसे भी देखिये

सूर्य का मंदिर

स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी

स्रोत

Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, The Masters and Their Retreats, s.v. “Liberty, Goddess of.”

एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट, "अ ट्रिब्यूट टू द गॉडेस ऑफ़ लिबर्टी,” १३ मार्च १९९३

  1. एम्मा लाजर की कविता "द न्यू कोलोसस, स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी के आसन पर अंकित है।
  2. हेनरी वड्सवर्थ लॉन्गफेलो, "सांता फिलोमेना," छंद १०.
  3. स्वतंत्रता की देवी, "द अवेकनिंग" पर्ल्स ऑफ विजडम १९८६, द्वितीय पुस्तक - पृष्ठ ७.
  4. स्वतंत्रता की देवी, लिबर्टी प्रोक्लेम्स (१९७५), पृष्ठ १३, १५- १६.
  5. स्वतंत्रता की देवी, ६ दिसंबर, १९७९।
  6. The Goddess of Liberty, “Our Origin in the Heart of Liberty,” Pearls of Wisdom, vol. 28, no. 45, November 10, 1985.