महान दिव्य निर्देशक

From TSL Encyclopedia
Revision as of 09:46, 15 December 2024 by JaspalSoni (talk | contribs)
Other languages:

महान दिव्य निर्देशक एक ब्रह्मांडीय जीव हैं। वह कहते हैं, "मुझे महान दिव्य निर्देशक के रूप में जाना जाता है क्योंकि मैंने अपनी चेतना को प्रकाश के अनेकानेक ब्रह्मांडों के लिए भगवान की दिव्य योजना के ब्रह्मांडीय चक्रों के साथ मिला दिया है।" उनका कारण शरीर एक विशाल नीला गोला (sphere) है जो पूरे पृथ्वी ग्रह को घेरे हुए है। उस गोले के क्षेत्र में आभा जाल (grids) और बलक्षेत्र (forcefields) हैं जिनके माध्यम से पृथ्वी पर ईश्वर के न्याय का वितरण होता है।

महान दिव्य निर्देशक

वह बहुत समय पहले सभी दीक्षाओं में उत्तीर्ण हो कर ब्रह्मांडीय सेवा के स्तर पर विस्थापित हो गए थे, जिसके फलस्वरूप उन्हें सातवीं मूल जाति के मनु बनने का योग्य माना गया। प्रत्येक मूल वंश के मनु अपनी संपूर्ण जनवंश के विकास के लिए दिव्य योजना का निर्धारण करते हैं। प्रत्येक वंश के मनु एक निश्चित अवधि में अपने अंतर्गत पृथ्वी पर आने वाली सम्पूर्ण जीवात्माओं का एक आदर्श रूप हैं - पृथ्वी पर आने वाली ये सभी जीवात्माएं उन्ही मनु की दिव्य छवि हैं। महान दिव्य निर्देशक के अंतर्गत सातवीं मूल वंश के मनुष्यों का जन्म सबसे पहले दक्षिण अमरीका में होना तय है।

पिछले युगों में उनकी सेवा

अटलांटिस (Atlantis) के डूबने से पहले, जब नोहा (Noah) अपना जहाज़ बना रहे थे और लोगों को आने वाली महाप्रलय (The Flood) की चेतावनी दे रहे थे, महान दिव्य निर्देशक ने संत जरमेन (Saint Germain) और कुछ विश्वसनीय पुजारियों को बुलाया और उन्हें स्वतंत्रता की लौ (flame of freedom) को शुद्धिकरण के मंदिर (Temple of Purification) से ट्रांसिल्वेनिया (Transylvania) में कार्पेथियन तलहटी (Carpathian foothills) में सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने के लिए कहा। उन्होंने स्वतंत्रता की लौ (flame of freedom) के विकास-हेतु पवित्र अनुष्ठान भी जारी रखा; इसी समय दिव्य आदेशों (decrees) द्वारा मानव जाति के कर्मों का भुगतान भी किया जा रहा था।

पृथ्वी पर अपने आगामी जन्मों में, संत जरमेन और उनके अनुयायियों ने महान दिव्य निर्देशक के मार्गदर्शन में लौ (Flame of freedom) का फिर से पता लगाया और जिस मंदिर में स्थापित थी उस मंदिर की रक्षा करना जारी रखा। बाद में महान दिव्य निर्देशक ने अपने एक शिष्य की सहायता से लौ के स्थान पर एक आश्रय स्थल - हंगरी के शाही घराने का राकोज़ी हाउस (House of Rakoczy) - की स्थापना की। हाउस ऑफ राकोजी के साथ उनके सम्बन्ध के कारण महान दिव्य निर्देशक को दिव्य आर (Master "R") की पदवी दी गयी है।

उनकी आज की सेवा

एल मोर्या (El Morya) हमें बताते हैं कि महान दिव्य निर्देशक (Great Divine Director) ने हजारों वर्षों से यूरोप को प्रायोजित किया है। वह संत जरमेन, ईसा मसीह और एल मोर्या सहित कई अन्य गुरुओं के शिक्षक भी हैं।

महान दिव्य निर्देशक दार्जिलिंग समिति (Darjeeling Council) और कार्मिक सभा (Karmic Board) के सदस्य हैं। वे ईश्वर की पवित्र इच्छा की प्रतीक पहली किरण के प्रति सेवारत हैं। वे सौर मंडल में सूर्य के बारह दिव्य गुणों (twelve solar hierarchies) की बारह बजे की रेखा और मकर पदक्रम पर कार्यरत हैं तथा मानवजाति को उसकी मानव रचना पर विजय पाने में सहायता देते हैं।

उनकी सहायता प्राप्त करने के लिए दिव्य आदेशों का आह्वान

उन्हें अक्सर चमकदार (dazzling) नीले गहनों से लदी एक बड़ी नीली बेल्ट के साथ चित्रित किया जाता है। चित्र में उनके हृदय, गले और सिर से चमकदार (dazzling) प्रकाश किरणें निकलती दिखाई देती हैं। ये प्रकाश किरणें बहुत शक्तिशाली होती हैं। जब आप महान दिव्य निर्देशन के लिए दिव्य आदेश करते हैं, तो आप प्रकाश की उन किरणों की सुरक्षा का अनुभव करते हैं। तब महान दिव्य निर्देशक आपके चक्रों की सुरक्षा के लिए आकाशीय स्तर पर आपको चारों ओर से अपनी नीली बेल्ट से घेर लेते हैं और इस पृथ्वी पर आपके जन्म की दिव्य योजना को आपके समक्ष प्रस्तुत करने में आपकी मदद करते हैं।

महान दिव्य निर्देशक प्रकाश की डिस्क के उपयोग का प्रबंध करते हैं जो वायलेट लौ की चक्करदार क्रिया पर ध्यान केंद्रित करती है। जैसे ही अग्नि की डिस्क प्रकाश की गति से दक्षिणावर्त दिशा (घड़ी की सूई के अनुसार) में घूमती है, यह इलेक्ट्रॉनिक बेल्ट और चार निचले शरीरों में अयोग्य पदार्थ को अपने केंद्र में खींच लेती है। इस प्रकाश की इस डिस्क की कल्पना आप एक विशाल इलेक्ट्रिक सैंडिंग मशीन के रूप में कर सकते हैं, जो घूमते समय प्रकाश की चिंगारियां छोड़ते हुए एक भंवर बनाती है जो उन सभी पदार्थों को अपने अंदर खींच लेती है जिन्हें रूपांतरण की आवश्यकता है।

दिव्य दिशा ईश्वर में चेतना की एक अवस्था है। यह समस्त जीवों के लिए ईश्वर की योजना के बारे में पूर्ण जागरूकता है। अंततः, यह जागरूकता अपने भीतर न केवल दिशा को बल्कि कार्य-पूर्ति में अपने तार्किक निष्कर्ष को भी समाहित करती है। बहुत समय पहले, जब जीवात्माएं ईश्वर होने पर विचार कर रही थीं, सौर देवताओं के एक दीक्षार्थी को यह एहसास हुआ प्राणियों को ईश्वर की दिव्य योजना को जानना चाहिए ताकि वे इसको पूर्ण करने के लिए आगे बढ़ें। उनका नाम भी उस लौ के आगे गौण हो गया जिसकी वे आराधना करते थे।

और इस तरह उस अचूक दिशा के नियम के रूप में ईश्वर की पूजा करने वाले अनाम व्यक्ति को महान दिव्य निर्देशक के रूप में जाना जाने लगा। ईश्वर की आराधना करने के फलस्वरूप वह आराध्य बन गए। और इसके बाद, ब्रह्मांडीय पदक्रम में कार्यालय मिलने के बाद, महान दिव्य निर्देशक, उनकी ईश्वर-पहचान बन गई।

महान दिव्य निर्देशक ने "ज्ञान के मोती" (Pearls of Wisdom) के कई अध्याय लिखे हैं जिनका नाम है "द मेकेनाइज़ेशन कांसेप्ट"।<ref>ये Mark L. Prophet, The Soulless One: Cloning a Counterfeit Creation में भी उपलब्ध हैं<ref> और आर्मगेडन की चुन्नौतियोंके बारे में हमें बताते हैं। फ्रांज़ लिस्ज़्ट का गीत "द रकॉज़ी मार्च" महान दिव्य निर्देशक के कारण शरीर से प्रेरित है।

गणेश और महान दिव्य निर्देशक

मुख्य लेख: गणेश

महान दिव्य निदेशक एक ब्रह्मांडीय प्राणी है जिसे उसके महान कारण शरीर द्वारा जाना जाता है। इस कारण शरीर में वे ईश्वर के साम्राज्यों, ईश्वर की स्मृति, रूपरेखा, और उनके मस्तिष्क को समाहित करते हैं। दिव्यगुरुओं की भाषा में हम महान इन्हें महान दिव्य निर्देशक कहते हैं और हिंदू इन्हें गणेश कहते हैं। जब आप दोनों के स्पंदनों पर ध्यान देते हैं, तो पाते हैं कि वे एक हस्ती के दो हिस्से हैं।

जब आप गणेश जी का ध्यान करते हैं तो आप ईश्वर के मस्तिष्क के अंदर प्रवेश कर सकते हैं। जब आप उस रूपरेखा के संपर्क में आते हैं, तो आप अपनी मूल ऊर्जा के संपर्क में भी आते हैं - इस ऊर्जा को आपके स्वयं के ईश्वरीय स्वरुप से तब जारी किया जाता है जब आप भगवान की सेवा में कोई कार्य शुरू करनेवाले होते हैं। यही संपर्क आप महान दिव्य निदेशक के माध्यम से भी बना सकते हैं। इन्हें हम गणेश कहते हैं और ईश्वरीय मस्तिष्क तथा हम ब्रह्मांडीय कंप्यूटर भी

आश्रयस्थल

मुख्य लेख: रकॉज़ी महल

मुख्य लेख: अँधेरे की गुफा

महान दिव्य निर्देशक ने ट्रांसिल्वेनिया में स्थित राकोज़ी महल को पूर्वी और पश्चिमी यूरोप के लिए स्वतंत्रता का केंद्र बनाया हुआ है। पूर्वकाल में यह भौतिक जगत में था लेकिन अब आकाशीय तल पर है।

राकोज़ी महल के अलावा वे भारत में प्रकाश की गुफा पर भी अपना ध्यान केंद्रित करते हैं। यहाँ वे अपने उन्नत दीक्षार्थियों के कर्मों का संतुलन कर उनके चार निचले शरीरों को शुद्ध करके उन्हें लौकिक सेवा प्रदान करने के लिए एक शुद्ध वाहन देने के अपने अधिकार का उपयोग करते हैं।

इसे भी देखिये

महान दिव्य निर्देशक की नोवीना

स्रोत

Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, The Masters and Their Retreats, s.v. “महान दिव्य निर्देशक”

एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट, “गणेशा एंड द ग्रेट डिवीइन डायरेक्टर,” १४ अप्रैल १९७९